वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा के टॉयलेट में टॉयलेट सीट को हमेशा दक्षिण या उत्तर दिशा की दीवार पर ही होना चाहिए। इससे टॉयलेट की सही दिशा बनी रहती है और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
टॉयलेट में वॉश बेसिन को हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर होना चाहिए। वॉश बेसिन के सामने मिरर होता है, जिसे वास्तु शास्त्र में रेमेडी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गलत दिशा में पानी और मिरर रखना वास्तु दोष उत्पन्न करता है।
नहाने का नल या शावर हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर होना चाहिए। अगर यह साउथ या वेस्ट की दीवार पर है तो इसे वास्तु के अनुसार सही करना चाहिए।
टॉयलेट के इंटीरियर में न्यूट्रल कलर्स का उपयोग करना चाहिए। ब्राउन, ब्लैक या ग्रे रंग का उपयोग नहीं करना चाहिए। ग्रीन, व्हाइट और क्रीम के रंगों का मिश्रण सही होता है। ग्रीन रंग का थोड़ा उपयोग कर सकते हैं।
टॉयलेट में स्पाइडर प्लांट या स्नेक प्लांट रखने से नेगेटिविटी कम होती है। ये पौधे आसानी से नर्सरी में मिल जाते हैं और नेगेटिव एनर्जी को कम करने में सहायक होते हैं।
एक कांच की कटोरी में आधा से एक चम्मच समुद्री नमक डालें और इसे 10-12 दिन में बदलते रहें। पुराना नमक टॉयलेट की सफाई के लिए उपयोग करें। यह नेगेटिव एनर्जी को समाप्त करने में मदद करता है।
टॉयलेट के दरवाजे के नीचे येलो स्ट्रिप का उपयोग करें। यह पट्टी पेंट, टाइल या स्टोन की होनी चाहिए। प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह नेगेटिव एनर्जी को आकर्षित करता है।
एक क्रिस्टल या शीशे के बाउल में 11 व्हाइट या क्रीम कलर के टंबल स्टोन रखें और टॉयलेट में रखें। यह टॉयलेट की नेगेटिविटी को समाप्त करने और पॉजिटिविटी को बढ़ाने में सहायक होते हैं।