गुरु राम दास का जन्म 24 सितंबर 1534 ई. को लाहौर के चूना मंडी स्ट्रीट में हुआ था। उनके पिता हरदास सोढ़ी जाति से खत्री थे।
गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल गुरु रामदास जी के भजन और प्रार्थनाएं ईश्वर के प्रति समर्पण और निस्वार्थ सेवा पर जोर देती हैं।
उनका नाम राम दास रखा गया था लेकिन पहली संतान होने के कारण घर और मोहल्ले में उन्हें जेठा (पहला बच्चा) कहा जाने लगा। जब वह सात वर्ष के थे तब उनके माता-पिता का निधन हो गया।
उन्होंने 1577 में सिख धर्म के सबसे पवित्र शहर अमृतसर शहर की स्थापना की।
गुरु रामदास जी ने सबसे प्रतिष्ठित सिख मंदिर स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) का निर्माण शुरू किया।
प्रकाश पर्व सिखों को गुरु रामदास जी की सेवा, करुणा और निस्वार्थता की विरासत की याद दिलाता है।
यह सिख समुदाय के भीतर एकता और बंधन को मजबूत करता है। सिख इस उत्सव के दौरान दान, सेवा और सामुदायिक सेवा के कार्यों में संलग्न होते हैं।