प्रतिदिन एक अध्याय पढ़ें और माता की पूजा करें। प्रति दिन विशेष मान्त्रों का जाप करें और उनकी कृपा के लिए आराधना में जुटे रहें।
पूजा के लिए लाल रंग की कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, दीपक, फूल, नारियल, दूध, चावल, और मिठाई जैसी सामग्री की आवश्यकता होती है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ सुबह या सायंकाल के समय करना उत्तम माना जाता है। इसे नौ दिनों तक एक स्थिर समय पर करने से पूर्ण प्रभाव मिलता है।
दुर्गा सप्तशती को नौ दिनों में बाँटकर पढ़ना अधिक उत्तम माना जाता है। इससे प्रतिदिन भक्ति और आराधना में विशेषता आती है और श्रद्धालु माता के प्रति अपनी भक्ति में वृद्धि कर सकता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति माता दुर्गा के आशीर्वाद से शक्ति, सुख-शांति, और समृद्धि प्राप्त करता है। यह रोग-नाशक और भयमुक्ति प्रदान करने में सहारा प्रदान करता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद व्रत त्यागा जा सकता है, लेकिन यह बेहद व्यक्तिगत है। कुछ लोग नौ दिनों के व्रत को संपन्न करके अपने संबंधित विधानों के अनुसार व्रत त्यागते हैं, जबकि कुछ इसे नियमित अभ्यास बनाए रखना पसंद करते हैं।