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इस पूजा को शरद पूर्णिमा की रात को मनाने का अदर्श माना जाता है, क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आवाजित होती हैं.
कोजागर पूजा को "कौमुदी व्रत" के नाम से भी जाना जाता है
इस दिन, लोग आधी रात को मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जिससे उनके घर में समृद्धि और धन का आगमन होता है.
इस दिन, भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था, जिसे भगवान की लीलाओं का प्रतीक माना जाता है.
कोजागर पूजा का त्योहार पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, और उड़ीसा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.
इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए घर के सामने 11 दीपक जलाए जाते हैं और खीर का भोग चढ़ाया जाता है.
इस आचरण से माता लक्ष्मी को आनंदित किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.