कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।
इस पर्व को रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी अथवा काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
यह पर्व दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में, सूर्योदय से पूर्व स्नान और शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है।
नरकासुर नाम के राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों के साथ 16 हजार एक सौ सुंदर राजकुमारियों को भी बंधक बना लिया था।
भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार एक सौ कन्याओं को आजाद कराया।
नरक चतुर्दशी का उत्सव अच्छे और बुरे के बीच की जीत को दर्शाता है, जिसमें कृष्ण ने नरकासुर को पराजित किया।