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ध्यान और पूजा में व्यक्ति को अपने पितृगणों के प्रति आदर्श भावना और श्रद्धा के साथ बैठक आयोजित करनी चाहिए.
पित्र दोष से मुक्ति पाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान, उपायों का पालन, और पूजा-अर्चना में ईमानदारी और नियमितता बरतनी चाहिए.
आचार्य या धार्मिक गुरु के मार्गदर्शन में रहना पित्र दोष के निवारण के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे सही मार्ग का प्रशासन कर सकते हैं.
शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे जाकर पूजा करें, जो पितृ दोष को कम कर सकता है.
पिप्पली का दान देने से पितृ दोष कम हो सकता है.
ब्राह्मणों को कुछ दान करने का प्रयास करें, जिससे पितृ दोष को कम किया जा सकता है. और नियमित रूप से श्राद्ध का आयोजन करें और पितृगणों को शांति दें.