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यह दोष व्यक्ति की जीवन में विभिन्न समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएं, और परिवार में बीरहमी वातावरण।
ज्योतिषीय दृष्टि से जन्मकुंडली में पितृ दोष की जाँच करना संभव है।
इसके लक्षण में अनायास, संघर्ष, विघ्न, और सामाजिक समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
जुज्जारू, देव, उत्, और बाल पितृ ये चार प्रकार के होते हैं, जिनका प्रत्येक का अलग-अलग प्रभाव होता है।
पितृ दोष के कारण विवाह या संबंधों में कठिनाईयाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे प्रेम और सजीवन संबंध में विघ्न आ सकता है।
यह दोष परिवार में विवाद और असमंजस का कारण बन सकता है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
यदि पितृ दोष किसी की जन्मकुंडली में है, तो इसका प्रभाव उसकी पीढ़ीयों तक पहुँच सकता है, जिससे वंश में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।