भारतीय संस्कृति में Ahoi ashtami व् अन्य व्रत और त्योहारों का महत्व अत्यधिक होता है। ये व्रत और त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि इन्हें एक विशेष तरीके से जीवन का हिस्सा माना जाता है |
also ये परिवार के सदस्यों के बीच एकजुटता और समर्पण की भावना को बढ़ावा देते हैं। इस श्रृंगारिक भारतीय संस्कृति में, Ahoi ashtami भी एक ऐसा महत्वपूर्ण दिन है|
जिसे माताओं और उनकी संतानों के बीच गहरे प्यार और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
Beside इस लेख मै आप को Ahoi ashtami vrat katha and subh mahurat time date की पूरी जानकारी प्रदान करने की कोसिस की है | also आशा है की आप को ये पसंद आएगी|
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Ahoi ashtami vrat subh mahurat time date ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार Ahoi ashtami vrat, 5 नवंबर, 2023, रविवार को पड़ेगी। इस दिन हिन्दू माताएँ अपने बच्चों के सुख-संपत्ति and उनकी लंबी आयु के लिए इस व्रत का आयोजन करती हैं।
अहोई अष्टमी के दिन, माताएँ सुबह से लेकर सूर्यास्त तक उपवास करती हैं, जिसे “निर्जला व्रत” भी कहते हैं, यानी बिना पानी के।
ashtami का आरंभ 5 नवंबर, 1:00 बजे से होता है और समाप्ति 6 नवंबर, 3:18 बजे को होती है।
then अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त 5 नवंबर, शाम 5:42 बजे से लेकर 7:00 बजे तक होता है।
माताएँ इस पूजा मुहूर्त के बाद संजय के आकाश में निखरते तारों को देखकर उपवास तोड़ती हैं, then इसके बाद परिवार और बच्चों के साथ खुशियों का त्योहार मनाती हैं।और मां आहोई की कृपा को प्राप्त करती हैं।
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Ahoi ashtami vrat katha
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व अत्यधिक है, और इसे Ahoi ashtami vrat katha के माध्यम से मनाया जाता है। इस कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक गांव में एक महिला थी, जिनका नाम आहोई था। वह मां थी और बहुत ही भक्तिभाव से अपनी प्रिय देवी का व्रत रखती थी।
एक दिन वह अपने घर के पास एक पीपल के पेड़ के नीचे खुदाई कर रही थी, और वहां खुदाई के दौरान वह एक प्रतिक खोदी, जिसमें सौ सोने के सिक्के थे। जब वह सोने के सिक्कों को उठाने लगी, तो उसकी पासवर्ड पुत्री ने उसको रोका और कहा कि इसे मां के मंदिर ले जाकर चढ़ाना चाहिए।
then माता आहोई की आज्ञा के साथ पासवर्ड पुत्री ने वह सोना मां के मंदिर ले जाकर चढ़ा दिया। मां के मंदिर में आईं माता आहोई बहुत खुश हुईं और अपनी पुत्री की इच्छा पूरी की, लेकिन उन्होंने अपनी पुत्री से कहा कि अब वह अहोई अष्टमी का व्रत भक्ति और समर्पण के साथ माने, ताकि वह अच्छी सेहत और खुशी से जी सके।
इसके बाद, अहोई अष्टमी का व्रत सुबह से ही आरंभ करके, माताओं द्वारा स्वच्छ और पवित्र रूप में पूजन किया जाता है। इसके बाद, ahoi ashtami ki kahani सुनी जाती है और माताओं द्वारा देवी माँ का आराधना किया जाता है। also व्रत के दौरान एक दूध की अहोई की मूर्ति बनानी चाहिए, जिसे व्रत के समय पूजन करना होता है।
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Puja vidhi और सामग्री
below हमने आप क लिए पूजा विधि और सामग्री क बारे में बताया है | जिसे उसे कर क आप अपनी व्रत काठ को विदिवत पूरा क्र सकते है |
Ahoi ashtami सामग्री
below सामग्री आपको Ahoi ashtami vrat के दौरान अपनी पूजा की सुविधा के लिए आवश्यक होती है।
- करवा (थाली): करवा या एक थाली, जिसमें पूजा की सारी सामग्री रखी जाती है।
- चूर्ण और अन्न: व्रत की पूजा के लिए चूर्ण (मिठाई) और अन्न (चावल) की आवश्यकता होती है।
- देवी की मूर्ति या चित्र: अहोई माता की मूर्ति या उनका चित्र, पूजा के लिए आवश्यक होता है।
- अर्घ्य सामग्री: व्रत के दौरान अर्घ्य देने के लिए नींबू, सिन्दूर, कुमकुम, आकाश तिल, फूल, और मिश्रित दाने की आवश्यकता होती है।
- दीपक और माचिस: दीपक और माचिस, पूजा के दौरान दीप जलाने के लिए आवश्यक होते हैं।
- पानी और पूजनीय वस्त्र: पूजा के लिए पानी और पूजनीय वस्त्र की आवश्यकता होती है।
- फल और मिठाई: व्रत के बाद फल और मिठाई द्वारा परिवार के सदस्यों को खुश किया जाता है।
- हरे पत्ते और फूल: पूजा के लिए हरे पत्ते और फूलों की आवश्यकता होती है, जिसे देवी को अर्पित किया जाता है।
- मूल्यवान वस्त्र: अहोई माता को मूल्यवान वस्त्र भेंट किया जाता है।
- धन (चांदी या सोने की मुद्राएँ): धन की वस्तुओं का भी व्रत के दौरान उपयोग किया जाता है, जिसे व्रत के अंत में देवी को चढ़ाया जाता है।
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Ahoi ashtami Puja vidhi
- प्रारंभिक तैयारी:
- पूजा के लिए विशेष थाली या करवा को सफाई से धो लें।
- माता अहोई की मूर्ति या चित्र को विशेष स्थान पर रखें।
- स्नान और शुद्धि:
- पूजा की शुरुआत में अपने शरीर को नहल कर शुद्धि बनाएं।
- व्रत की संकल्प लें:
- माता अहोई की कृपा और अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए व्रत की संकल्प लें।
- पूजा की शुरुआत:
- पूजा की शुरुआत करते समय, माता अहोई की मूर्ति या चित्र का ध्यान करें।
- उनके पैर को स्पर्श करें then उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
- पूजा सामग्री का उपयोग:
- अहोई माता की पूजा के दौरान सामग्री का उपयोग करें।
- अर्घ्य, चूर्ण, अन्न, और अन्य पूजनीय वस्त्र का उपयोग करें।
- अहोई मंत्र जाप:
- ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः ,माता अहोई के मंत्रों का जाप करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना करें।
- अर्घ्य और प्रसाद:
- अर्घ्य को माता के पैरों में दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- फल, मिठाई, और चूर्ण का प्रसाद तैयार करें और उन्हें माता के पैरों में दें और फिर अपने परिवार के सदस्यों को दें।
- व्रत खोलना:
- संजीवनी अर्घ्य देने के बाद, व्रत खोलने का समय आता है।
- रात्रि के समय, तारों को देखकर व्रत खोलें और अन्न खाएं।
Frequently Asked Questions
According to हिन्दू पंचांग हमने कुछ सवाल व् उनके जवाब below सम्लित किये है | जिनहे पड़ कर आप अहोई अस्टमी के बड़े में जो डॉट्स है उनको क्लियर कर सकते है | चलिए ले चलते है आप को without delay :-
Q . 1 karva chauth and ahoi ashtami 2023 ?
Ans :- according to हिन्दू पंचाग karva chauth … एंड अहोई अष्ट्मी 2023 |
Q . 2 ahoi ashtami katha in hindi ?
Ans :- अहोई अष्ट्मी की कथा अलग अलग जग अलग अलग होती है , हमने ऊपर Ahoi ashtami vrat katha हिंदी में दी गई जो की एकक महिला की है | then यू विल know कैसे अहोई माता को पर्सन किया और आशीर्वाद प्राप्त किया इसका वरनन इस कथा मई किया गया है |
Q . 3 Ahoi Ashtami tara time?
Ans :- November 05, Sunday, 2023 को अहोई व्रत स्टार्ट होगा then Ahoi Ashtami tara time November 05, 05:42 PM – 07:00 PM होगा व् चन्द्रमा उदय 12 बजकर 19 मिनट पे होगा |
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Q . 4 Ahoi Vrat 2023 Date?
Ans :- November 05, Sunday, 2023 को अहोई व्रत की तारीख है |
Q . 5 Jitiya Vrat 2023 क्या है ?
Ans :- सनातन धर्म में Ahoi Vrat को Jitiya Vrat के नाम से बी जाना जाता है , जितिया पर्व को जीवित पुत्र व्रत के रूप में विशेष महत्व होता है। also इस व्रत का पालन करने से लोग आरोग्यपूर्ण और दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं, also विशेष रूप से अपने पुत्रों के लिए। इस उपवास में, महिलाएं 24 घंटे तक बिना भोजन के अपने प्रिय पुत्र के लिए व्रत रखती हैं।
निष्कर्ष :-
according to अहोई अष्टमी पूजा विधि एक मां के प्यार और बच्चों के लिए की गई एक विशेष आयोजन है, जिसमें मां अपने प्यारे बच्चों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपासना करती हैं।
Also यह दिन भक्ति और परंपरा की महत्वपूर्ण प्रतीक है, जिसमें प्रेम और संवाद का महत्व होता है।
इस दिन का आयोजन ध्यान, आदर, और आपसी समर्थन के साथ किया जाता है, जिससे परिवार का एकत्र आने का मौका मिलता है।