नमस्कार दोस्तों हमारे लेख में आप का स्वागत है हम आपको ज्योतिष के एक नए और रामंचक तथ्य का अध्यन करेंगे। इस लेख में आप Kundali Houses के रहस्य को खोजेंगे। आप देवी-देवताओं (kundali houses lord) के रोमंचक नृत्य के रूप में स्वर्गीय शरीर की अवधारणा से प्रचित होंगे । जोकि कुंडली में 12 घरो में अपना निवास करते है। हर कुंडली घर अपना अलग महत्त्व रखती है। तो चलिए आपको इस लेख के द्वारा kundali houses विषय में जानकारी देते है।
ज्योतिषय शास्त्र में kundali houses का महत्वपूर्ण स्थान होता है। कुंडली में कुल 12 houses होते हैं, जिन्हें भावों के रूप में भी जाना जाता है। सभी घर अलग-अलग पहलुओं और ग्रहों को दर्शाते है। ये घर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं जैसे कि व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, धार्मिकता, आर्थिक स्थिति, परिवार, विवाह, शिक्षा, यात्रा आदि।
Kundali Houses meaning
ज्योतिष में kundali houses के बिना कुंडली अधूरी होती है। ठीक वैसे ही हमारे जीवन में इनका बहुत महत्त्व होता है। जो हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है। प्रत्येक घर कुंडली में अलग-अलग चीजों को दर्शाता है। और हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करता है।कुंडली में घरों के द्वारा हम अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का पता लगाते हैं। और उनका समाधान ढूंढते हैं।
ये घर हमें अपने कर्म, संबंध, स्वास्थ्य, विवाह, विदेश यात्रा और बहुत कुछ, के बारे में जानकारी देते हैं। आप यह जानने के लिए उत्साहित होंगे की कुंडली में कौन सा घर किसका होता है। तो जानिए कि प्रथम घर , लग्न घर(भाव) हमारे व्यक्तित्व और स्वास्थ्य को दर्शाता है, द्वादश घर(भाव) भावनात्मक सुख-दुख को दर्शाता है, और इसी तरह kundali houses meaning को एक-एक करकें आगे पड़ेंगे।
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Kundali ke 12 houses or Bhav es parkar hai:-
- लग्न भाव – यह सवयं का भाव होता। इसमे व्यक्ति के शारीरिक रूपऔर स्वास्थ्य को दर्शाता करता है।
- धन भाव – यह घर वित्तीय स्थिति, संपत्ति, आय, धन, आदि से संबंधित होता है।
- सहज भाव – यह घर जातक के परिवार, संबंध, आनंद, मानसिक स्थिति, मातृ समृद्धि, घर का माहौल आदि से संबंधित होता है।
- सुख भाव – यह घर घर-परिवार, मातृ संबंध, आश्रय स्थान, आराम और सुरक्षा को दर्शाता है।
- पुण्य भाव – यह घर शिक्षा, विद्या, धर्म, धर्मिक कार्य, पुत्र, आदि से संबंधित होता है।
- शत्रु भाव – यह घर रोग, शत्रु,सेवा ,द्वेष, कष्ट, सेवाभाव, व्यापार, आदि के साथ जुड़ा होता है।
- साथी भाव – यह घर पार्टनरशिप, विवाह, संबंध, धार्मिक कर्तव्य, आदि से संबंधित होता है।
- आयु भाव – मृत्यु, गुप्त बातें, अनुसंधान, तंत्र-मंत्र, रहस्य,आदि से संबंधित होता है
- धर्म भाव – धर्म, धर्मिक यात्रा, गुरु, उपासना, विद्या,आदि से संबंधित होता है।
- कर्म भाव – यह घर करियर, स्थान, लोगों के सम्मान, यश, सार्वजनिक जीवन, पिता, आदि से संबंधित होता है।
- लाभ भाव – यह घर आय, धन, अधिकार, उपनयन, आदि से संबंधित होता है।
- व्यय भाव -यह घर व्यय, त्याग, विरोध, अन्त्य, रहस्य, आदि से संबंधित होता है।
Kundali Houses Lord
हर घर का अपना स्वामी होता है, जिन्हे हम kundali houses lord कहते है। इनके द्वारा किसी जातक के क्षेत्र का प्रभाव और फल निर्धारित होता है। कुंडली घरों का अध्ययन जातक को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं की समझ और अधिकारिता प्रदान करता है।आइए इन सभी घरों(भाव) और उनके संबंधित शासक(स्वामी) ग्रहों के महत्व पर चर्चा करते है।
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12 houses or Bhav ke bhagwan or swami es parkar hai:-
- पहला भाव का स्वामी – सूर्य (Sun)
- द्वितीय भाव) का स्वामी – चंद्रमा (Moon)
- तृतीय भाव का स्वामी – मंगल (Mars)
- चतुर्थ भाव का स्वामी – बुध (Mercury)
- पांचवां भाव का स्वामी – गुरु (Jupiter)
- छठवां भाव का स्वामी – शुक्र (Venus)
- सातवां भाव का स्वामी – शनि (Saturn)
- आठवां भाव का स्वामी – राहु (Rahu)
- नौवां भाव का स्वामी – केतु (Ketu)
- दसवां भाव का स्वामी – सूर्य (Sun)
- ग्यारहवां भाव का स्वामी – शनि (Saturn)
- बारहवां भाव का स्वामी – गुरु (Jupiter)
Kundali Houses Zodiac Signs
ज्योतिष में kundali houses-zodiac signs एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है क्योकि हर राशि अपने स्वयं की विशेषताओं और प्रभाव के कारण एक विशेष घर में निवास करती है। ये घर नवांश भी कहलाते हैं और इनको कुंडली में 1से 12 घरो के नंबर्स में सामिल कर दिया जाता है। जैसे कि मेष राशि प्रथम घर में होती है, मिथुन राशि तृतीय घर में और वृषभ राशि सातवें घर में। इस प्रकार, कुंडली के घरो की राशियों को नीचे दर्शाया गया है।
- पहला भाव – मेष राशि (Aries)
- दूसरा भाव – वृषभ राशि (Taurus)
- तीसरा भाव – मिथुन राशि (Gemini)
- चौथा भाव – कर्क राशि (Cancer)
- पांचवां भाव – सिंह राशि (Leo)
- छठा भाव – कन्या राशि (Virgo)
- सातवां भाव – तुला राशि (Libra)
- आठवां भाव – वृश्चिक राशि (Scorpio)
- नौवां भाव – धनु राशि (Sagittarius)
- दसवां भाव – मकर राशि (Capricorn)
- ग्यारहवां भाव – कुंभ राशि (Aquarius)
- बारहवां भाव – मीन राशि (Pisces)
निष्कर्ष –
इस लेख में हमने ज्योतिष के महत्वपूर्ण विषय “Kundali Houses” के बारे में जानकारी प्रदान की है। ये घरों के माध्यम से हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रतिष्ठित करते हैं और उनकेअधिपति ग्रह हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं। यह प्रभाव नकारात्मक तथा सकारात्मक हो सकते है। घरों की राशि भी किसी व्यक्ति की स्थिति और गुणों पर प्रभाव डालती है। इन घरों के माध्यम से ज्योतिषी हमारे भाग्य और व्यक्तित्व की जांच करते हैं और हमें सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हमने इस लेख में घरों के नाम, स्वामी ग्रहों के नाम और उनकी राशियों को भी दर्शाया है। हम आशा करते है की आपको इस लेख के माध्यम से Kundali Houses के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त हुआ होगा।
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Frequently Asked Question on kundali Ghar or Bhav
Q-1 भाग्य भाव का कौन सा घर होता है ?
Ans- ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में 9वा घर भाग्य का घर होता है। 9वा घर बहुत अच्छा होता है किसी जातक की कुंडली में नोवा घर होने से वह बहुत भाग्यशाली होता है।
Q-2 कुंडली में कौन से ग्रह विवाह के होने का संकेत देता है ?
Ans- किसी भी जातक की कुंडली में शुक्र और बृहस्पति मुख्यत जिम्मेवार होते है। परन्तु 7वा घर भी किसी जातक का विवाह करने में सक्षम होता है।
Q-3 किस ग्रह के कारण विवाह में देरी होती है ?
Ans- कुंडली में शनि ग्रह के करण विवाह में देरी होती है शनि का प्रभाव कार्यों को संचालित करने में देरी ला सकता है और विवाह की प्रक्रिया को विलंबित कर सकता है। इसके अलावा केतु ग्रह भी विवाह प्रभाव में देरी ला सकता है।
Q-4 कुंडली बारह भाव में सूर्य का फल कैसा होता है
Ans- सूर्य का फल बारहवें भाव में धर्म की और अग्रसर रहने को होता है यह भाव धार्मिक कार्यो, धर्म संबंधी विचारों, धार्मिक अभियानों और समाज सेवा के साथ जुड़ा होता है। यदि कुंडली में सूर्य प्रबल है और बारहवें भाव का स्वामी शुभ दशा में है, तो आप नेतृत्व, अध्यात्म या सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
Q-5 कुंडली में सूर्य को मजबूत कैसे करे ?
Ans- सूर्य देव की नियमित पूजा, आराधना करें। प्रार्थना करते समय सूर्य मंत्र का जाप करें जैसे “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” प्रातःकाल में सूर्य देव को अर्घ्य दें। आप एक कलश में गंगाजल लेकर उसे सूर्य की ओर मुख करके जल चढ़ाये। आप घी, चावल, गेहूं, सूर्य रत्न या सूर्य को संबोधित करते हुए कुछ दान करे।