ज्योतिष में ‘nadi dosh’ एक प्रमुख ग्रहण बिंदु है। हिन्दू धर्म में विवाह से पहले जोड़े की कुंडली मिलाई जाती है जिससे गुण-दोष का मूल्यांकन होता है। यदि 18-20 गुण मिलते हैं तो विवाह होता है।
यदि कोई दोष सामने आता है तो यह गंभीर विषय बन जाता है। खासकर नाड़ी दोष केमामले में। जिसके कारण विवाह में अड़चनें आ सकती हैं और वैवाहिक जीवन में संबंध खराब हो सकते हैं।
ज्योतिष में nadi dosh के बारे विशेषज्ञों के पास अनेक उपाय होते हैं कुंडली मिलान के द्वारा उचित दोष समाधान, व्रत, मंत्र, और दान आदि।
ये उपाय नाड़ी दोष को शांत करके विवाह में सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करते है। इस लेख में हम आपको नाड़ी दोष के सम्पूर्ण उपाए ,लक्षण ,और nadi dosh क्यों लगता है ? तो बने रहिए इस लेख पर और जानिए Nadi Dosh Kya Hota Hai?
Nadi Dosh Kab hota hai or Nadi dosh ke kyaa parbhav ho skte hai?
ज्योतिष के अनुसार, nadi dosh तब होता है जब दोनों व्यक्तियों की नाड़ी (नाड़ी) एक ही होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जाओं का मेल नहीं होता है।
विवाह करने से पहले nadi dosh का पता करने के लिए जब दो व्यक्तियों की कुंडली देखीं जाती है। तब कुंडली में चन्द्रमा और बृहस्पति का संयोग देखा जाता है। यदि चन्द्रमा और बृहस्पति का एक साथ या समीपस्थ स्थान पर स्थानीय दृष्टि से संयोग होता है, तो उसे नदी दोष कहा जाता है।
इसका मतलब है कि दोनों वर-वधु की कुंडली में चन्द्रमा और बृहस्पति के ग्रहों के संयोग के कारण विवाह में बाधाएं आती हैं। इससे धार्मिक और पारिवारिक संबंधों में भी समस्या आती है नाड़ी दोष के प्रभाव को शास्त्रीय ज्योतिष में ध्यान रखकर उचित उपाय करना शुभ होता है।
Nadi Dosh कितने प्रकार का होता है ?
ज्योतिष में विवाह के लिए कुंडली मिलान की दृष्टिकोन से नाड़ी दोष को जांचा जाता है। और नाड़ी दोष तीन प्रकार का होता है और तीनो का अलग-अलग प्रभाव होता है। याद रखे की प्रतेक नाड़ी में 9नक्षत्र होते है। और सभी में इनका अलग-अलग प्रभाव होता है।
आदि नाड़ी दोष (Adi Nadi Dosh) –
यह दोष तब होता है जब विवाह करने वाले दोनों वर-वधु की नाड़ी एक ही होती है और इसका प्रभाव उनके संबंधों पर पड़ता है। और इसमें नक्षत्र – अश्विनी, उत्तराफाल्गुनी,हस्त, पुनर्वसु, ज्येष्ठा, आर्द्रा, पूर्वाभाद्रपदा, शतभिषा तथा पूर्वाभाद्रपदा मूल,।
मध्य नाड़ी (Madhya Nadi Dosh) –
इस दोष में विवाहीत जोड़ी की कुंडली में दोनों की अंत नाड़ी एक जैसी होती है। इसके प्रभाव से भी विवाह के बाद संबंध बिगड़ सकते हैं और समस्याएं आ सकती हैं। और इसमें नक्षत्र – पुष्य, भरणी, चित्रा, पूर्वाफाल्गुनी, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा तथा मृगशिरा,उत्तराभाद्रपदा।
अन्त्य नाड़ी (Ant Nadi Dosh)-
इस दोष में विवाहीत जोड़ी की कुंडली में दोनों की अंत नाड़ी एक जैसी होती है। और इसमें नक्षत्र -रोहिणी, श्रवण, कृत्तिका, स्वाती, श्लेषा, मघा, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण तथा रेवती।
किन नक्षत्रों में Nadi Dosh नहीं होता है ?
नाड़ी दोष का निर्धारण जन्म नक्षत्रों की प्रकृति और उनके संबंधित क्वार्टरों की जांच करके किया जाता है, और यह विवाह के लिए अनुकूलता आकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- वैदिक ज्योतिष में, यदि वर-वधू का जन्म नक्षत्र एक ही है और नक्षत्र के भीतर उनका पद (तिमाही) अलग है, तो नाड़ी दोष होत है।
- जब उनकी राशि (राशि) एक ही हो लेकिन उनके जन्म नक्षत्र अलग-अलग हों, तो नाड़ी दोष लागू नहीं होता है।
- यदि दोनों भागीदारों का जन्म नक्षत्र एक ही है लेकिन राशियाँ अलग-अलग हैं, तो भी नाड़ी दोष नहीं लगता।
Nadi Dosh के प्रभाव
नाड़ी दोष एक ज्योतिषीय गुण मिलान में आने वाली एक संभावित दोष है इसका प्रमुख प्रभाव विवाह में समस्याओं का कारण बनना है। नाड़ी नाड़ी दोष के प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- संतान सम्बन्धी समस्याएं जैसे कि बार-बार गर्भपात, अनिर्वाहनीय गर्भावस्था, या संतान की अनुपस्थिति।
- नाड़ी दोष के मिलने पर, विवाहीत जोड़ी के स्वास्थ्य में समस्याएं आना। शारीरिक और मानसिक पीड़ा होना।
- नाड़ी दोष के कारण विवाहीत जोड़ी के बीच तलाक होने की सम्भावना ज्यादा होती है। विवाहीत जीवन ज्यादा नहीं चलता।
- नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी की अप्रकार्तिक मृत्यु होना।
- पारिवारिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। विवाहीत जोड़ी के संबंध में रिश्तेदारी या पारिवारिक संबंधों में कुछ तकरार या बढ़ोतरी हो सकती है।
नाड़ी दोष निवारण के उपाए
वैदिक ज्योतिष में nadi dosh एक महत्वपूर्ण गुण दोष माना जाता है जो विवाह में अड़चनें पैदा करता है। यदि किसी जातक की कुंडली में नाड़ी दोष होता है, तो विवाह के समय तकलीफें और समस्यों का होना एक आम बात है नाड़ी दोष का निवारण करने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं:
- नाड़ी दोष के निवारण के लिए कुछ दान करे। विभिन्न दान विकल्प हैं जैसे वस्त्र, गहने, अनाज, गुड़, सफेद वस्त्र, चाँदी, इत्यादि। कुछ का यह मानना है की वर या वधु के वजन के बराबर अनाज दान करने से नाड़ी का परभाव कम होता है।
- नाड़ी दोष को शांत करने के लिए कुछ विशेष व्रत और उपासना का पालन करें। इसके लिए नाग पंचमी और शुक्ल पक्ष के बुधवार को विशेष उपाय करे।
- नाड़ी दोष को दूर करने के लिए पवित्र तीर्थस्थलों में यात्रा करें और वहां पूजा अर्चना करें।
- यदि नाड़ी दोष आपको संतान सुख से वंचित कर रहा है, तो आप अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रार्थना करें।
- नाड़ी दोष को दूर करने के लिए विशेष वैदिक मंत्रों का जाप करें। इसके लिए एक ज्योतिषाचार्य या पंडित से मार्गदर्शन प्राप्त करें और उनके बताए अनुसार नियमित रूप से मंत्रों का जाप करें।
- आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करे। इससे भगवान शिव प्रसन्न होंगे।
मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
Frequently Asked Questions:–
Here are some frequently asked question answer which are mostly asked by people who are want to know about nadi dosh.
Q-1 Nadi Dosh का स्कॉर 0 है तो क्या होगा ?
Ans- यदि नाड़ी स्कोर (Nadi Score) शादी कुंडली मिलान में 0 है, तो यह एक अच्छा संकेत है। नाड़ी स्कोर 0 होना यह दर्शाता है कि जन्मपत्रिका मिलान में नाड़ी दोष नहीं है, और यह अविशेषज्ञता के कारण आपके जीवनसाथी और आपके बीच कोई बाधा नहीं होगी।
Q-2 क्या नाड़ी दोष बच्चे के जन्म को प्रभावित करता है ?
Ans- पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, नाड़ी दोष बच्चे को गर्भ धारण करने में कुछ चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है| या बच्चे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करता है। ऐसा माना जाता है कि दंपत्ति की नाड़ी की अनुकूलता संतान की जीवन शक्ति और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
Q-3 कौन सा नक्षत्र सबसे भाग्यशाली होता है ?
Ans – सबसे अच्छा और भाग्यशाली नक्षत्र पुष्य नक्षत्र होता है।
Q-4 कौन सा नक्षत्र अच्छा नहीं होता है?
Ans – ज्योतिष में आश्लेषा, मघा, कृतिका और भरणी नक्षत्र को खराब नक्षत्र बताया गया है कुंडली में इन नक्षत्रो के होने से कोई भी का शुभ नहीं होता।
निष्कर्ष:
Nadi dosh, ज्योतिष के अन्य पहलुओं की तरह, रिश्तों को समझने में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयाम जोड़ता है, लेकिन जीवन के निर्णयों के लिए इसे एकमात्र कारक नहीं माना जाना चाहिए। यह एक विश्वास प्रणाली है जो हमें हमारी परंपराओं और मूल्यों से जोड़ती है।
हालाँकि, विश्वास, व्यावहारिकता और ज्ञान के आधार पर सूचित विकल्प चुनने से अधिक सामग्री और संतुलित जीवन यात्रा हो सकती है। एक संतोषजनक और परिपूर्ण जीवन के लिए विश्वासों और व्यावहारिकता के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाना आवश्यक है।