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Shani Dosh क्या होता है? शनि दोष के लक्षण, निवारण और उपाय

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नमस्कार दोस्तों! इस लेख में हम shani dosh के बारे में जानकारी देंगे। क्योकि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का बड़ा महत्व होता है, और शनि ग्रह इनमें से एक है। शनि ग्रह की अनुकूल स्तथिति के कारण ही शनिदोष होता है। शनि ग्रह को astrology में ‘कर्मकारक ग्रह’ के रूप में जाना जाता है,

जिसका मतलब है कि शनि ग्रह की स्थिति और दशा व्यक्ति के कर्म और उसके भविष्य को प्रभावित कर सकती है। शनि दोष के कारण कई लोग अनेक समस्याओं का सामना कर सकते हैं, लेकिन उन्हें समझने और उनसे निपटने के लिए सही जानकारी आवश्यक है।

Shani Dosh क्या होता है

ज्योतिष शास्त्र में shani dosh महत्वपूर्ण अनुष्ठानिक ग्रंथ है। शनि क्या है शनि है देरी ,पेट की बीमारी ,शनि दोष कहता है किस्मत कुछ नहीं होती। जो मिले गए मेहनत से मिलेगा। शनि दोष को शनि के दुष्ट फल के कारण माना जाता है और इससे जातक को विभिन्न प्रकार के दुख और तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है।

शनि ग्रह को ज्योतिष में कर्मफल और न्याय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है और शनि दोष का कारण ज्यादातर अच्छे कर्मों की कमी और पूर्वजन्म की कर्मिक रिन होता है।

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Shani Dosh Meaning

शनि दोष एक ऐसी ग्रह दोष है जो जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अनुकूल स्तिथि के होने पर होता है। कुंडली में 12घर होते है। जिस किसी में शनि बैठ गया। तो उस घर के मिलने वाले फायदों का रोना होता है।

मतलब की जो सुविधा आपको अपने आप मिलती थी वही आपको मेहनत से प्राप्त करनी होगी। shani dosh के होने पर आपको किसी भी कार्य में मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है।

यह जितनी आपसे मेहनत करवाते है उसका दोगुना फल भी मिलता है क्योकि शनि हर बार आपकी कुंडली में कठिनाई नहीं लाता।

आजतक जितने भी करोडपति ,अरबपति बने है और जितने भी कंगाल हुए है इन सभी में शनि देव का हाथ है। क्योकि शनि देव जितनी धन दौलत , पर्शिद्धि और कोई ग्रह नहीं देता।

How to Check Shani Dosh in Kundali ?

Check Shani Dosh

कुंडली में shani dosh को चेक करने के लिए ज्योतिष विद्वान कुंडली में शनि की स्थिति, लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवांश कुंडली के आधार पर पता लगते है। शनि, कठिनाइयों और संयम का प्रतीक है।

शनि मेष राशि में होने पर वह नीच का होता है। इसी के कारण shani dosh लगता है। वही अगर शनि चन्द्रमा और सूर्य में बैठा हो तो वह  उच्च का शनि होता है।

अगर शनि ग्रह किसी दुसरे ग्रह के साथ अशुभ स्थिति में होता है, तो उसकी वजह से shani doshहोता है।

शनि की महादशा और अंतरदशा भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन दशाओ के कारण जातक पर ग्रह के प्रभाव का अधिक असर होता है। शनि दोष के लक्षण जैसे धन की कमी, स्वास्थ्य समस्याएं, व्यावसाय में रुकावट, पारिवारिक तकलीफें आदि को देखते हुए इस दोष को पहचाना जाता है।

ज्योतिषी शनि दोष के प्रभाव को समझने के लिए समय-समय पर उपाय भी सुझाते हैं, जो दोष को कम करने और जातक के जीवन को सुधारने में मदद करते हैं। यह एक वैज्ञानिक तरीका है ज्योतिष के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट और सुख-दुखों का पता लगाने का।

शनि दोष की साड़े साती

किसी जातक पर शनि की साड़े साती 7.5 साल तक रहती है।  शनि की साड़े साती में शनि ग्रह व्यक्ति की जन्म राशि में एक राशि से दूसरी दो राशियों में ज्यादा समय तक रहता है। इस दशा में शनि ग्रह क्रमशः एक राशि से 2.5 साल तक,  फिर दूसरी राशि से 2.5 साल, और आखिरकार तीसरी राशि से 2.5 साल तक रहता है।

शनि की साड़े साती में शनि ग्रह व्यक्ति की जन्म राशि से दो राशियों के बीच प्रभाव डालता है। ये राशियां जन्म राशि के समान और उसके पड़ोसी राशियां होती हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति की जन्म राशि मकर (Capricorn) है, तो शनि की साड़े साती में उसकी पड़ोसी राशियां कुंभ (Aquarius) और धनु (Sagittarius) हो सकती हैं।

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Shani Ki Sade Sati Ke Lakshan

  1. व्यापारिक दलों में रुकावट आ सकती है और लाभ कम हो सकता है।
  2. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में समस्याएं हो सकती हैं।
  3. परिवार में मां-बाप और पत्नी के साथ मतभेद और तनाव हो सकता है।
  4. आर्थिक समस्याएं आ सकती हैं और धन की कमी हो सकती है।

Shani Dosh के लक्षण

शनि दोष के कुछ लक्षण होते हैं, जिनसे यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति को इस दोष का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. शनि दोष काम काज को काम कर देता है
  2. व्यक्ति बुरी संगति में रहने लगता है।
  3. शनि अपना प्रभाव सीधा दिमाग पर डालता है जिससे मन विचलित होता है या सिर में दर्द होने लगता है।
  4. व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता है। ज्यादा किसी के बाते नहीं करता।
  5. लगातार किसी बीमारी से ग्रस्त रहना।
  6. छोटी उम्र में आँखे में कमजोरी होने लगती है।
  7. सिर के बाल झड़ने लगते है।
  8. धन की कमी और वित्तीय संबंधों में अस्थिरता हो सकती है।
  9. शनि दोष से प्रभावित व्यक्ति के परिवार में झगड़े और मनमुटाव हो सकते हैं। परिवार के सदस्यों के साथ संबंधों में तनाव बना रहता है।
  10. शनि दोष के कारण व्यक्ति को नौकरी में समस्याएं आ सकती हैं। करियर में रुकावट आना और संघर्ष से गुजरना पड़ सकता है।
  11. शनि दोष के प्रभाव से शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं। व्यक्ति थकावट और निराशा का अनुभव कर सकता है।

Shani Dosh Nivaran In Hindi

shani dosh nivaran-in-hindi
  1. “ॐ शं शनैश्चराय नमः” यह मंत्र शनि दोष के निवारण में सहायक होता है।
  2. शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए काले रंग के कपड़े, तिल, घी, उड़द की दाल, नीली चीज़ें और अपनी साड़ी या कुर्ती का दान करें।
  3. नीलम या ब्लू सेफायर रत्न धारण करना शुभ माना जाता है।
  4. शनि दोष निवारण के लिए शनिवार को उपवास रखें और शनि देव की पूजा करें।
  5. विवाह या व्यापार में शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुंडली मिलान करना फायदेमंद होता है।
  6. नियमित ध्यान और मेधावी भावना से शनि दोष को प्रभावित किया जा सकता है।

Shani Ki Mahadasha

ज्योतिष में Shani Ki Mahadasha  एक महत्वपूर्ण और लम्बे समय तक चलने वाली धनु राशि के अधिपति ग्रह शनि (Saturn) के प्रभाव की एक विशेष दशा होती है।

महादशा किसी व्यक्ति के जीवन में लगभग 19 वर्षों की अवधि की होती है, जो कि जन्मकुंडली में शनि ग्रह की स्थिति पर निर्भर करती है।

शनि की महादशा के दौरान व्यक्ति को शनि ग्रह के प्रभाव के अनुसार विभिन्न परिणाम देखने को मिलते हैं। शनि धैर्यपूर्वक, संयमी, उत्तराधिकारी, और नैतिकता का प्रतीक है।

इस दशा के दौरान, व्यक्ति को कठिनाइयों, परेशानियों, और संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह भी उन्हें एक मजबूत और स्थिर व्यक्तित्व विकसित करने में मदद करता है।

यह दशा व्यक्ति को अपने कर्मों के लिए ज्यादा मेहनत करने और संयमी रहने की प्रेरणा देती है। व्यक्ति के धार्मिक और नैतिक विकास में भी इस दशा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

व्यक्ति को सामाजिक मान-सम्मान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें आत्मविश्वास और सहनशक्ति के विकास की आवश्यकता होती है।

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Shani Ki Mahadasha (shani dosh) Ke Upay

शनि की महादशा के दौरान भी निम्नलिखित उपाय फायदेमंद साबित होते हैं।

  1. आसान पर बैठकर करें शनि मंत्र का जाप, “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
  2. शनि देव के ध्यान के लिए नीले रंग की चट्टान पर बैठें।
  3. शनिवार के दिन संध्या के समय शनि देव के चरणों में सरसो का तेल चढ़ाए।
  4. प्रतिदिन काले कुत्ते को सरसो का तेल लगा के रोटी खिलाए।
  5. संध्या के समय घर के दरवाजे पर या पानी के घड़ो के पास तील के तेल का दीपक जलाए।
  6. दैनिक कर्मों को संयमित करें, और ईमानदारी के मार्ग पर चलें।
  7. अपने गुरु या बड़े बुजर्ग की सेवा करें और उनसे आशीर्वाद लें।
  8. शनि दोष निवारण पूजा या हवन करवाएं।

Frequently Asked Questions -FAQs

shani dosh से सम्बंदित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न। इस लेख से जुडी आपके मन में  कोई संका है तो comment box जरूर पूछिए हम आपका उत्तर देने की कोशिश करंगे। 

Q-1 शनि ग्रह  की कितनी दृष्टि होती है ?

Ans- शनि ग्रह की तीन दृष्टियाँ होती हैं। यानी शनि ग्रह अन्य तीन ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा और मंगल) को अपनी तीनो दिशाओं से देख सकता है। इसका मतलब है कि शनि ग्रह व्यक्ति के कुंडली में अन्य तीन ग्रहों के स्थान और स्थिति को अपने दृष्टि से प्रभावित कर सकता है।

Q-2 शनि देव किसके पुत्र है ?

Ans- विद्यमान पुराणों में भगवान शनि का वर्णन अलग-अलग है, और उन्हें विभिन्न धर्म संस्कृतियों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।शनि देव माता छाया और सूर्य देव के पुत्र है। 

Q-3 शनि का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करे ?

Ans- शनि के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए धार्मिकता, न्यायप्रिय जीवन जीना, शनि दोष उपाय करना और शनि मंत्रों का जाप करना लाभदायी होता है।

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Q-4 शनि दोष से कौन सा रोग होता है?

Ans- वैदिक ज्योतिष में कहा जाता है कि शनि दोष से व्यक्ति को अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोग हो सकते हैं। यह रोग व्यक्ति के कुंडली में शनि के स्थान और संयोजन के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।

यहां कुछ उदाहरण हैं जो शनि दोष के कारण हो सकते हैं: कमजोर नस्यं से सम्बंधित रोग (Muscular Weakness), अर्थराइटिस (Arthritis), डिप्रेशन और अवसाद (Depression and Anxiety), अच्छल रोग (Insomnia), रक्ताल्पता (Anemia), पीठ और कमर दर्द

Q-5 Shani Dev Mantra क्या है ?

Ans- शनि दोष के लिए बीज मंत्र: “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥”

निष्कर्ष 

वैदिक ज्योतिष में “shani dosh” शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को संदर्भित करता है, जो जीवन में कठिनाइयों का कारण बनता है। इसकी पहचान कुंडली में शनि की स्थिति का विश्लेषण करके की जाती है। “शनि दोष की साढ़े साती”  परीक्षण की एक महत्वपूर्ण अवधि है।

इसके प्रभाव को कम करने के लिए अनुष्ठान, मंत्र और रत्न जैसे उपाय सुझाए जाते हैं। जहां कुछ लोग इसके प्रभाव पर विश्वास करते हैं, वहीं अन्य लोग इसे संदेह की दृष्टि से देखते हैं। हालांकि, वैदिक ज्योतिष जीवन की चुनौतियों में मार्गदर्शन चाहने वालों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।

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