इस ब्लॉग पोस्ट में, हम Shani Ki Drishti की अवधारणा, इसके महत्व और यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को कैसे आकार दे सकती है, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। वैदिक ज्योतिष में, ग्रहों के पहलू हमारे जीवन पर खगोलीय पिंडों के प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है “शनि की दृष्टि” यह एक शक्तिशाली और कर्म(कर्म पर निर्धारित )ग्रह माना जाता है, और इसका पहलू हमारे जीवन की यात्रा में चुनौतियाँ और आशीर्वाद दोनों ला सकता है।
Note – शनि की दृष्टि को समझने के लिए आप shani dosh क्या होता है के बारे में जरूर जाने। आपकी जानकारी लिए बता दे की इससे पहले हमने shani dosh के बारे में पूरी जानकरी दे र=खी है।
Shani Ki Drishti
जब किसी और ग्रह पर Shani Ki Drishti पड़ती है तो शनि का प्रभाव उस ग्रह पर पड़ जाता है। यानि की शनि अपना दबदबाव उस ग्रह पर बना लेता है। शनि अपने घर(भाव) के ही परिणाम नहीं देते बल्कि यह अपने से अलग तीन घरो का भी परिणाम देते है।
क्योकि Shani Ki तीन Drishti होती है। और यह किसी घर का 50प्रतिसत परिणाम घोषित करता है। अगर किसी जातक पर शनि की महादशा आगई तो वह जीवन के 19 साल तक रहती है और शनि की साढ़ेसाती आगई तो वह 7.5 सात साल तक रहती है। इसिलिए शनि बहुत महत्वपूर्ण ग्रह है किसी कुंडली का।
कुछ लोग shani dosh से गबराते है और गबराए भी क्यों नहीं। अगर किसी का शनि खराब है और इसको समझ लिया तो उनके फैसले सही हो जाते है। अगर आप अपने ग्रह के मुताबिक चलोगे तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। और वह ग्रह भी खुस रहत्ता है। और अपने जातक का साथ भी देता है। पहले जानिए इसके लक्षण।
Shani Ki Drishti k तीन Type
शनि (Saturn) ग्रह की तीन प्रमुख दृष्टियां (aspects) होती हैं (3,7 और 10,) जो व्यक्ति की कुंडली में अन्य (घर)भाव पर पड़ती हैं। इनमे से तृतीय दृष्टि को ज्याद प्रभावसाली माना जाता है। इन दृष्टियों के माध्यम से शनि ग्रह व्यक्ति के जीवन में अपने प्रभाव को प्रकट करता है।
शनि की दृष्टि विशेष रूप से शनिवार (Saturday) को जन्में व्यक्तियों पर अधिक प्रभावशाली मानी जाती है। हालांकि, व्यक्ति की संयुक्त कुंडली में सभी ग्रहों के स्थिति, योग, और दशाओं का भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है,
क्योंकि यह सभी तत्व साथ मिलकर व्यक्ति के जीवन को पूर्णता के साथ प्रभावित करते हैं। शनि की तीन प्रमुख दृष्टियां कुंडली के अलग अलग घरो में निम्नलिखित हैं।
1.प्रथम भाव में Shani Ki Drishti
जब शनि प्रथम भाव में चंद्र पर दृष्टि देता है, तो यह व्यक्ति के मानसिक संतुलन और भावुकता पर प्रभाव डालता है। व्यक्ति अक्सर उदास या चिंतित हो सकता है और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है।
व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करते हैं। हालांकि, शनि की सकारात्मक दृष्टि के साथ, यह योग व्यक्ति को सामाजिक मामलों में संपन्नता और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता प्रदान कर सकती है। यहा से शनि तृतीय भाव,सप्तम भाव और दशम भाव पैर अपनी नज़र रखेगा।
प्रथम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
शनि की तृतीय दृष्टि आपके मन और व्यक्तित्व पर प्रभाव डाल सकती है। भाई-बहन के सम्बन्ध में कभी-कभार विवाद देखने को मिल सकता है। इसकी दृष्टि के प्रभाव से व्यक्ति धैर्यहीन और डरपोक हो जाता है।
प्रथम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
प्रथम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि व्यक्ति के जीवन साथी, सामाजिक संबंध, विवाह पर प्रभाव डालती है। इस प्रभाव कठिनाइयां और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। विवाहित जातको का तलाक भी हो सकता है। यह व्यक्ति के संबंधों पर भारी प्रभाव डालती है।
प्रथम भाव से शनि की दशम दृष्टि
यह कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प को प्रोत्साहित करता है। जिससे व्यक्ति को अपने करियर में सफलता मिलती है। दशम भाव साहसी और कर्म का भाव होता है। प्रथम भाव से शनि की दशम दृष्टि आपको ,आपनी मेहनत के अनुसार परिणाम देती है।
2.द्वितीय भाव में शनि की दृष्टि
दूसरे घर पर शनि की दृष्टि से वित्तीय चुनौतियां, जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं और धन लाभ में देरी हो सकती है। हालाँकि, यह वित्तीय अनुशासन और दीर्घकालिक योजना में मूल्यवान सबक भी सिखा सकता है।
इस स्थिति वाले व्यक्तियों को अपने वित्त का प्रबंधन करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है और उन्हें आवेगपूर्ण खर्च से बचना चाहिए। यहां से शनि चतुर्थ भाव,अष्टम भाव और एकादश भाव पर अपनी दृष्टि डालेगा।
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द्वितीय भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
द्वितीय भाव में शनि की तृतीय दृष्टि चतुर्थ भाव पैर होगी। यह आपकी माता को कस्ट देता है। यह व्यक्ति की पढ़ाई ,धार्मिक अनुष्ठान, यात्रा, भावनाएँ, और परिवार को प्रभावित करती है।
लेकिन परिवार और यात्रा करने में कठिनाई आ सकती हैं। क्योकि शनि अपनी दृष्टि को चतुर्थ भाव में डालेगा। जिसके स्वामी चंद्र ग्रह है।
द्वितीय भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
द्वितीय भाव से शनि की सप्तम दृष्टि आठवे भाव में होगी। जिसके स्वामी मंगल ग्रह है। अगर आप जुए या लॉटरी से पैसे कमाए है तो शनि के प्रभाव से यह कमाई नहीं टिकती। और जो जमीन जायदात आपको आपके बड़ो द्वारा मिली है। उसमे भी लाभ नहीं मिलते।
क्योकि शनि कहता है आप मेहनत से पैसा कमाइए में आपको दुगना दुगा।
द्वितीय भाव से शनि की दशम दृष्टि
द्वितीय भाव से शनि की सप्तम दृष्टि खुद के अपने घर(भाव) में होगी। शनि के अपने घर में होने से आपको लाभ तो मिलेगें ही इसके विपरीत इंसान अकेला रहना पसंद करता है।
3.तृतीय भाव में शनि दृष्टि
तीसरा घर होता है यात्रा का ,ऑनलाइन कमाई का , बिज़नेस का ,और इसमें शनि की दृष्टि मेहनत करने पर अच्छे परिणाम देती है। तृतीय भाव से शनि अपनी दृष्टि पंचम, नवम और बाहरवें घर में डालेगा।
तृतीय भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
सूर्य संतान का घर है। अगर इसमें शनि की दृष्टि पड़ती है। तो आपको संतान सम्बंधित समस्या आ सकती है। या प्रेम , विवाह में भी आपको कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
तृतीय भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
नोवा भाव भाग्य का घर होता है। जिसके स्वामी गुरु बृस्पति होते है। सूर्ये पुत्र की दृष्टि आपके भाग्य को प्रभावित करेगी।
तृतीय भाव से शनि की दसम दृष्टि
न्याय के ग्रह गुरु बृस्पति दसम दृष्टि से प्रभावित होने से यह आपके विदेश कार्यो में बाधा बन सकता है। और धन सम्पति में उच्च नीच देखने को मिल सकती है।
4.चतुर्थ भाव में शनि दृष्टि
चतुर्थ भाव व्यक्ति के परिवार का भाव होता है। शनि की प्रभाव से परिवार में क्लेश बना रहता है। परिवार में बड़े बुजर्ग का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। और चतुर्थ भाव में शनि के होने से वह षष्ठम,दशम और प्रथम भावो में अपनी दृष्टि डालेगा।
चतुर्थ भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
कुंडली में यदि चतुर्थ भाव से शनि की तृतीय दृष्टि बुध पर पड़ती है तो ऐसी स्तिथि में आपके शत्रु आपको कोर्ट के चकर लगवा सकते है। जिससे आपका स्वास्थ्य हरब हो सकता है।
चतुर्थ भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
हमने पहले भी बताया था की शनि घर में होने पर वह अच्छे फल देता है। परन्तु आपको कार्य छेत्र में मेहनत करनी होगी। इसमें आप लापरवाई बिलकुल मत बरतिए। आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
चतुर्थ भाव से शनि की दसम दृष्टि
चतुर्थ भाव से शनि की दसम दृष्टि से, व्यक्ति को जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ता है। नौकरी या व्यवसाय में विलम्ब हो सकता है।
5.पंचम भाव में Shani Ki Drishti
पंचम भाव में शनि की दृष्टि व्यक्ति की शिक्षा और बच्चों के संबंधों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। विद्यार्थी जीवन में संघर्ष और असफलता हो सकती है और वे अपने शिक्षा में प्रगति करने में मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। इस दृष्टि से, संतानों के संबंधों में भी कठिनाई हो सकती है और शनि सूर्य के घर में रहकर , शुक्र ,शनि ,शुक्र (7,11,2) पर अपनी दृष्टि डालेगा।
पंचम भाव में शनि की तृतीय दृष्टि
पंचम भाव में शनि अपनी तृतीय दृष्टि को सप्तम भाव में डालेगा। जो की विवाह का घर होता है। शनि की करूर दृष्टि से सादी में देरी होती करता है। या बने बनाये रिश्ते को खत्म कर देता है।
पंचम भाव पर शनि की सप्तम दृष्टि
यहाँ शनि फिर से अपने घर पर दृष्टि डालता है। जो की लाभ का घर है और आपको अपनी ईमानदारी से की गई मेहनत की पुरे फल मिलेंगे।
पंचम भाव पर शनि की दशम दृष्टि
शनि पाचवे भाव में रहकर अपनी दसम दृष्टि को द्वितीय भाव में डालने से व्यक्ति को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। वह अपना मनोबल को खोया हुआ महसूस करता है। और परिवार में कलेश बना रहता है।
6.षष्ठम भाव में शनि की दृष्टि
यह दृष्टि व्यक्ति के रोग प्रतिरोग की क्षमता को कम करती है। जिससे उसका स्वास्थ्य खराब रहता है। व्यक्ति गन्दी आदतों में जल्दी पद जाता है। उसे शराब पीना ,जुआ खेलना , मारपीट कर्ण ऐसे गंदे कार्य करने लगता है। शत्रुओं या प्रतिद्वंद्वियों से झगड़े हो सकते है। षष्ठ भाव से शनि अपनी दृष्टि से 8,12,और 3 तीसरे भाव को प्रभावित करता है।
षष्ठम भाव में शनि की तृतीय दृष्टि
षष्ठम भाव से सूर्य पुत्र मंगल को देखेगा जिसके प्रभाव से व्यक्ति किसी भी कार्य को एक बार में नहीं कर पाएगा। इस दृष्टि के कारन व्यक्ति को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। पर मेहनत के फल बहुत अच्छे मिलते है।
षष्ठम भाव में शनि की सप्तम दृष्टि
सप्तम दृष्टि से गुरु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसमें आर्थिक तंगी होने लगती है। एक्सपर्ट काम में नुकशान होने के चांस बढ़ जाते है।
षष्ठम भाव में शनि की दसम दृष्टि
षष्ठम भाव से छाया पुत्र तीसरे भाव को देखेगा। जिसके स्वामी बुध ग्रह है। और यह भाव भाई-बहन का भाव होता है। दोनों में मतभेद दिखेंगे। मेहनत पर मेहनत करनी होगी। तभी आपको सफलता मिलेगी।
7.सप्तम भाव में शनि की दृष्टि
शनि की सप्तम भाव में दृष्टि डालने से शत्रु आप से बलवान होगा। व्यक्ति सही निर्णय लेने में असमर्थ रहेगा। अगर सही कुंडली में सही रहा तो आपके साथ अच्छा ही होगा। आपके जीवन साथी आपसे खुस रहेंगे। और सप्तम से शनि 9नोवे ,4चौथे और 1पहले घर पर नज़र रखेगा।
सप्तम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
सप्तम भाव से शनि अपनी तृतीय दृष्टि नोवे भाव में डालेगा और इससे विवाह, संबंधों, संतान, सम्प्रदायिकता, भाषा, संचार, यात्रा, शिक्षा और संदेश से संबंधित प्रभाव हो सकता है। आसान सब्दो में आप लाभ से वंचित होंगे।
सप्तम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
सप्तम दृष्टि से शनि की नज़र प्रथम भाव में होगी। इसके प्रभाव से व्यक्ति में आलस बना रहेगा। किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगेगा।
सप्तम भाव से शनि की दसम दृष्टि
दसम दृष्टि से शनि चतुर्थ भाव में अपनी नज़र रखेगा। आपको कड़ी मेहनत करनी होगी तभी सफलता मिलेगी। और आपकी माता का स्वास्थ्य खराब रहेगा।
8.अष्टम भाव में शनि की दृष्टि
व्यक्ति को ऋण और वित्तीय मुद्दों में कठिनाईयां हो सकती हैं। स्वास्थ्य में समस्याएं हो सकती हैं। इस दृष्टि के कारण, व्यक्ति अपने जीवन में विभिन्न चुनौतियों का सामना कर सकता है । यहां से शनि अपनी तीन दृष्टि 10दसम भाव ,2 द्वितीय भाव और 5 पंचम भाव पर रखेगा।
अष्टम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
अष्टम से शनि अपनी तृतीय दृष्टि को दसमे भावे में डालेगा। इसके प्रभाव के सवरूप व्यक्ति अपनी विसय पढ़ाई से अलग रोजगार को प्राप्त करेगा। और पैसो की दिकत आयेगी।
अष्टम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
शनि की सप्तम दृष्टि से व्यक्ति के सामाजिक संबंध, विवाह, संबंध, पारिवारिक मामले, वाणी, संवाद, और सामाजिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव के तहत व्यक्ति को संबंधों में चुनौतियां, विवाद, और विपरीतता का सामना करना पड़ सकता है।
अष्टम भाव से शनि की दसम दृष्टि
शनि की दसम दृष्टि के कारण, व्यक्ति को पेशेवर जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं और सामने आने वाले संघर्षों से निपटने की क्षमता होनी चाहिए। व्यक्ति को अपने करियर में सफलता हासिल करने के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यह भाव व्यक्ति के पेशेवर जीवन के मामलों में उत्तरदायी रहता है
9.नवम भाव में शनि की दृष्टि
शनि नवम भाव में रहकर अपना प्रभाव डालता है तो इससे व्यक्ति निडर बनता है। अच्छे लाभ मिलेंगे। लेकिन अपनी ईमानदारी पर बने रहिएगा। ऐसे लोग अपनी ज़िंदगी में खुशाल जीवन जीते है। परन्तु शुक्र ग्रह कुछ उतार चढ़ाव जीवन में ला सकता है। नवम भाव से शनि अपनी दृष्टि ग्यारहवे भाव ,तीसरे भाव और छटे भाव पर रखेगा।
नवम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
नवम भाव से छाया पुत्र शनि देव अपनी तीसरी दृष्टि ग्यारहवे भाव में डालेंगे। जोकि लाभ घर होता है। यह घर आय, धन, अधिकार, उपनयन, आदि से संबंधित होता है। आपको इसके विपरीत परिणाम देखने को मिलेंगे।
नवम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
इसमें शनि की सप्तम दृष्टि मंगल पर होगी इसके प्रभाव से आपका चिड़चडापन मन हो सकता है। छोटी सी बात पर अधिक गुस्सा होने पर आपको घाटा हो सकता है।
नवम भाव से शनि की दसम दृष्टि
नवम भाव से शनि की दसमांश दृष्टि के फलस्वरूप, व्यक्ति को करियर में समस्याएं हो सकती हैं। दुसमन आप पर हावी हो सकते है। सावधानी से चले।
10.दशम भाव से Shani Ki Drishti
कुंडली में दसम भाव पर शनि की दृष्टि से आपको लाभ मिलने के संकेत है। दशम भाव ज्योतिष में “कर्मस्थान” के रूप में जाना जाता है और यह व्यक्ति के करियर, पेशेवर जीवन, स्थान, प्रतिष्ठा, और सार्वजनिक स्थान से संबंधित होता है।
आपके पास जितना ज्ञान होगा उतना ही फल शनि देव से आपको मिलेगा। दसम भाव से शनि बाहरहवें भाव, चतुर्थ भाव और सप्तम भाव पर अपनी नज़र रखेंगे।
दसम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि
शनि की तृतीय दृष्टि बाहरहवें घर में डालेंगे। इसमें बैठे शनि आपको मानसिक तोर से प्रभावित करेंगे। सफलता के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। कोई भी कार्य पूरा होता हुआ नहीं दिखेगा।
दसम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि
सप्तम से शनि की नज़र चतुर्थ भाव में होगी। व्यक्ति अपने सुख के लिए ज्यादा खर्चा करेगा। इससे आपको आर्थिक तंगी भी हो सकती है। अपनी आय से ज्यादा ख़र्च न करे।
दसम भाव से शनि की दसम दृष्टि
दसम भाव में बैठे शनि की दसम दृष्टि सप्तम भाव में होंगी। इसके प्रभाव से आपके विवाहित जीवन में समस्या आ सकती है। करियर में पाटनर्शिप है तो आपको ईमानदारी और सावधानी से कार्य करना होगा।
11.एकादश भाव में शनि की दृष्टि
ग्यारहवें घर को “लाभ के घर” के रूप में जाना जाता है और यह सामाजिक संबंधों, वित्तीय समृद्धि और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति से जुड़ा है। इस भाव पर शनि की दृष्टि सामाजिक और व्यापार क्षेत्र में स्थिरता और सफलता लाती है।
यह व्यक्ति को एक मजबूत नेटवर्क बनाने और उनके करियर में पहचान हासिल करने में मदद करता है। यहा से शनि प्रथम भाव, पंचम भाव और अष्टम भाव पर अपनी दृष्टि डालेगा।
एकादश भाव में शनि की तृतीय दृष्टि
शनि अपनी तृतीय दृष्टि को प्रथम भाव में डालेगा। इसके प्रभाव से व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी नज़र आती है। वह दुसरो पर निर्भर रहता है। जिससे वह अपनी पहचान को खो देता है।
एकादश भाव में शनि की सप्तम दृष्टि
शनि की सप्तम दृष्टि से व्यक्ति को संतान संबंधी समस्या हो सकती है क्योकि इसकी दृष्टी पंचम भाव में होगी। जोकि धार्मिक कार्य, पुत्र, आदि से संबंधित होता है।
What is kundali dosh?
एकादश भाव में शनि की दसम दृष्टि
दसम दृष्टि के अष्टम भाव पर होने से आपको कोई शारीरक बीमारी हो सकती है जैसे की गुप्त रोग। अष्टम भाव – गुप्त बातें, अनुसंधान, तंत्र-मंत्र, रहस्य,आदि से संबंधित होता है।
12.द्वादश भाव में शनि की दृष्टि
द्वादस भाव व्यव का भाव होता है और इसमें शनि की दृष्टि पड़ने से व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं परअसर होता है,
जैसे कि व्यापार में लाभ, समृद्धि, स्वास्थ्य, परिवार जीवन, शिक्षा, और समाजिक जीवन में।
इसके साथ ही, शनि की दृष्टि व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर भी प्रभावित्त करती है। द्वादस भाव से शनि द्वितीय,षष्ठम और नवम भाव पर अपनी दृष्टि को डालेगा।
द्वादश भाव में शनि की तृतीय दृष्टि
छाया पुत्र शनि देव अपनी तृतीय दृष्टि से द्वितीय भाव को प्रभावित करेगा जोकि आपके सीधा परिवार में झगड़े कराएगा। आपसी तनाव रहेगा। घर के जमीन जायदात को लेकर झगड़े होंगे आपको कोर्ट के चकर भी लगाने पड़ सकते है।
द्वादश भाव में शनि की सप्तम दृष्टि
यह दृष्टि षष्ठम भावे पर होगी। यह शत्रु घर होता है। यह घर आपके रोग, शत्रु,सेवा ,द्वेष, कष्ट के साथ जुड़ा होता है। इसमें आपका स्वास्थय खराब होगा। सत्रु आपको चोट पहुंचा सकता है।
द्वादश भाव में शनि की दसम दृष्टि
दसम दृष्टि नोवे भाव को प्रभावित करेगी। यह भाव धर्म, धर्मिक यात्रा, गुरु,विद्या,आदि से जुड़ा होता है। भाग्य आपका साथ छोड़ देगा। धार्मिक कार्य करने में मन लगेगा।
Frequently Asked Questions – FAQs for Shani Ki Drishti
Shani ki drishti से सम्बंदित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न। इस लेख से जुडी आपके मन में कोई संका है तो comment box में जरूर पूछिए हम आपका उत्तर देने की कोशिश करंगे।
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Q-1 शनि के लिए कौन शत्रु सा घर है?
Ans- शनि के शत्रु घर चंद्र ,मंगल और सूर्य को माना गया है।
Q-2 शनि ग्रह का क्या महत्व है?
Ans- शनि ग्रह को धैर्य और समर्थन का प्रतीक माना जाता है और इसे कर्म के फल का प्रतीक भी माना जाता है।
Q-3 शनि कौन है ?
Ans- शनि ग्रह, जिसे भारतीय ज्योतिष में कर्क राशि का स्वामी माना जाता है और यह सौर मंडल में एक महत्वपूर्ण ग्रह है। शनि ग्रह को खासतौर से कर्म और न्याय का प्रतीक माना जाता है।
इसकी चाल धीमी होती है और इसे ज्योतिषीय दृष्टि के आधार पर महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। शनि की दृष्टि के बारे में अधिक जानने से पहले, हम इस ग्रह के महत्वपूर्ण तत्वों को समझते हैं।
Q-4 Satrun Return kya hota hai ?
Ans- किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक सैटर्न रिटर्न है, जो 29-30 की उम्र के आसपास और फिर 58-60 की उम्र में होता है।
इन अवधियों के दौरान, शनि राशि चक्र, के चारों ओर एक पूर्ण परिक्रमा पूरी करता है, जो प्रमुख जीवन परिवर्तन और पुनर्संरेखण को दर्शाता है।
Q-5 क्या शनिदेव की फोटो घर में शुभ होती है ?
Ans- नहीं घर में शनि देव की कोई भी मूर्ति या तस्वीर शुभ नही होती। किसी व्यक्ति पर शनि की दृष्टि मात्र से ही आपके साथ अनिष्ट होता है तो शनि की तस्वीर घर में कैसे शुभ हो सकती है।
निष्कर्ष:
वैदिक ज्योतिष में Shani Ki Drishti एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। इसके प्रभावों को समझने और शनि की ऊर्जा के साथ काम करने से हमें जीवन की चुनौतियों को पार करने में मदद मिल सकती है।
चाहे यह कठिनाइयाँ लाए या आशीर्वाद, हमारी कर्म यात्रा के हिस्से के रूप में शनि के पहलू को अपनाने से व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक विकास हो होता है।
याद रखें, ज्योतिषीय प्रभाव जीवन का सिर्फ एक पहलू है, और अंततः, यह हमारे विचार, कार्य और विकल्प हैं जो हमारे भाग्य को आकार देते हैं।