नमस्कार दोस्तों हमारी वेबसाइट kundalidosh एक vedic astrology site है। जो आपको ज्योतिष से रिलेटेड ज्ञान देने की कोशिश करती है। और इस वजह से आज आपको भारत की सालो पुराने ज्योतिष विद्या के बारे में बतायंगे जो की vedic astrology के नाम से परषिद है।
What is vedic astrology
भारत की सालो पुरानी ज्योतिष प्रणाली को ही vedic astrology कहाँ जाता है। वैदिक ज्योतिष का ज्ञान भारत के प्राचीन वेदों में मिलता है, वैदिक ज्योतिष का उल्लेख खासकर “ऋग्वेद” और “यजुर्वेद” में मिलता है। यह विद्या हज़ारों साल पुरानी है और इसे महर्षि पराशर ने संकलित किया था। उनकी रचना “बृहत पराशर होरा शास्त्र” आज भी ज्योतिष के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
वैदिक ज्योतिष तीन प्रमुख अंगों में बटी हुई है ;-
गणिता (खगोलीय गणना): इसमें ग्रहों, नक्षत्रों, और राशियों की गणना की जाती है।
संहिता (समाज और संस्कृति): इसमें समाज, मौसम, प्राकृतिक घटनाओं और विभिन्न संस्कृतियों पर ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।
होरा (फलित ज्योतिष): इसमें व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण कर भविष्यवाणी की जाती है। इसे हम “कुंडली ज्योतिष” के नाम से भी जानते हैं।
How to read vedic astrology chart
vedic astrology की कुंडली पढ़ने के लिए हमें तीन मुख्य तत्वों को समझना होगा: घर, राशि और ग्रह। जब आप किसी कुंडली को देखते हैं, तो सबसे पहले यह समझें कि कौन सा घर कौन सी राशि से भरा है और उसमें कौन सा ग्रह स्थित है।
उदाहरण के लिए, यदि चंद्रमा दसवें घर में कन्या राशि में है, तो इसका मतलब होगा कि उस व्यक्ति की करियर और सार्वजनिक छवि पर चंद्रमा का प्रभाव है और यह कन्या राशि के गुणों जैसे विश्लेषणात्मकता और विवरण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
इस प्रकार, धीरे-धीरे आप ग्रहों, राशियों और घरों के बीच के संबंधों को समझने लगेंगे और एक संपूर्ण ज्योतिषीय विश्लेषण कर पाएंगे। अधिक जानकारी के लिए, हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें और नए वीडियो के लिए जुड़े रहें।
Vedic astrology compatibility by date of birth
यह प्रक्रिया vedic astrology में दो लोगों के जन्म के समय के ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करती है। और यह सुनिश्चित करती है कि उनका विवाहिक जीवन सुखद और संतुलित रहेगा या नहीं।
compatibility by date of birth
vedic astrology में, कुंडली मिलान के लिए “अष्टकूट मिलान” पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिसमें 8 प्रमुख गुणों (कूट) का मिलान किया जाता है। ये 8 गुण के नाम कुछ इस प्रकार है।
वर्ण (1 अंक): यह दोनों व्यक्तियों की प्रकृति और व्यक्तित्व का मिलान करता है।
वास्य (2 अंक): यह दोनों के बीच के आकर्षण और परस्पर नियंत्रित करने की क्षमता को दर्शाता है।
तारा (3 अंक): यह दोनों व्यक्तियों की जन्म नक्षत्रों की अनुकूलता का आकलन करता है।
योनि (4 अंक): यह दोनों के शारीरिक और भावनात्मक सामंजस्य की जांच करता है।
ग्रह मैत्री (5 अंक): यह दोनों की मानसिक समझ और पारिवारिक सामंजस्य का अध्ययन करता है।
गण (6 अंक): यह दोनों के स्वभाव और प्रवृत्ति की अनुकूलता को मापता है।
भकूट (7 अंक): यह दोनों के स्वास्थ्य, धन, और दीर्घायु से संबंधित होता है।
नाड़ी (8 अंक): यह दोनों की जैविक अनुकूलता और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता है।
इन 8 गुणों में कुल मिलाकर 36 अंक होते हैं। 18 अंक से अधिक मिलने पर, विवाह को शुभ माना जाता है, जबकि 18 अंक से कम होने पर इसे विचारणीय माना जाता है।
Vedic astrology marriage prediction free
किसी व्यक्ति की vedic astrology से marriage prediction करना बहुत आसान है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी व्यक्ति के विवाह का समय और उसकी शादीशुदा जीवन की दिशा, कुंडली के विभिन्न घरों और ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है।
कुंडली के सातवें भाव को विवाह और साझेदारी का घर माना जाता है। जब कुंडली में सातवें भाव के साथ दूसरे और ग्यारहवें भाव का भी संबंध बनता है, तो शादी के योग प्रबल होते हैं।
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- सातवां भाव (House of Partnership): यह भाव विवाह, साझेदारी, और दांपत्य जीवन के बारे में बताता है।
- दूसरा भाव (Family House): यह भाव कुटुंब यानी परिवार का घर होता है, जो परिवार के विस्तार और जीवनसाथी के साथ जीवन को दर्शाता है।
- ग्यारहवां भाव (House of Desires and Growth): यह भाव हमारी इच्छाओं और वृद्धि का प्रतीक होता है। विवाह के समय इस भाव का सक्रिय होना शुभ संकेत माना जाता है।
विवाह का समय कैसे तय करें: वैदिक ज्योतिष में विवाह का समय दशा (माहादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतरदशा) और गोचर (ट्रांजिट) के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जब कुंडली में शुक्र या गुरु ग्रह की दशा चल रही होती है, या इनका गोचर सातवें भाव पर होता है, तो विवाह के योग बनते हैं। इसके अलावा, यदि कुंडली में मंगल, शनि, या अन्य ग्रहों की स्थिति सातवें भाव के साथ अनुकूल हो, तो विवाह के शुभ समय का संकेत मिलता है।
Note – नवांश कुंडली का महत्व: विवाह की सफलता और जीवनसाथी के स्वभाव के बारे में जानने के लिए नवांश कुंडली (D9) का अध्ययन भी किया जाता है। यह कुंडली विशेष रूप से शादी के बाद के जीवन और दांपत्य सुख के लिए देखी जाती है।
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वैदिक ज्योतिष में, हमारे पिछले जन्मों से जुड़े रहस्यों को समझना एक अत्यंत रोचक और महत्वपूर्ण विषय है। राहु, केतु और सूर्य, ये तीन ग्रह हमारे जीवन में उन लोगों की पहचान बताते हैं, जिनसे हमारा आत्मिक संबंध पिछले जन्मों से जुड़ा हुआ है।
यह जानने के लिए तीन ग्रह, तीन तरीके और तीन उपाय हैं। अगर हम इन लोगों के साथ अच्छे से पेश आते हैं, तो हमारे कर्म शीघ्र ही पूर्ण हो सकते हैं।
आइए जानते हैं, कौन-कौन लोग हमारे साथ पिछले जन्म से जुड़े हुए हैं। इसके लिए तीन प्रमुख ग्रहों – राहु, केतु, और सूर्य – को देखा जाता है। ये तीन ग्रह हमें यह संकेत देते हैं कि कौन से लोग हमारे पिछले जन्म से जुड़े हैं और किनके साथ हमें अपने कर्मों को पूरा करना है।
राहु का प्रभाव: राहु जिस भी राशि में स्थित होता है, उस राशि के जातक हमारे जीवन में कुछ न कुछ देने के लिए आते हैं। जैसे, यदि राहु सिंह राशि में है, तो सिंह राशि वाले लोग (जिनका चंद्रमा या लग्न सिंह में है) हमारे जीवन में कुछ देने के लिए होते हैं, चाहे वह भावनात्मक रूप से हो या शारीरिक रूप से।
केतु का प्रभाव: केतु जिस राशि में स्थित है, उस राशि के लोग हमारे जीवन में भावनात्मक और भौतिक समर्थन की आवश्यकता रखते हैं। हमें उनसे अधिक से अधिक भावनात्मक और भौतिक समर्थन प्रदान करना होता है।
सूर्य का प्रभाव: सूर्य जिस राशि में होता है, उस अवधि में जन्मे लोग हमारे जीवन में आत्मिक रूप से जुड़े होते हैं। इन लोगों के साथ हमारे आत्मा का संबंध होता है और इनके साथ हमें अच्छे भावनात्मक संबंध बनाए रखने चाहिए।
Which is more accurate vedic or western astrology
Vedic or western astrology दोनों में ग्रहों और तारों को समझने के अपने-अपने तरीके हैं। वैदिक ज्योतिष तारों की स्थिर स्थिति पर आधारित है और इसे “sidereal” ज्योतिष कहते हैं। वहीं, western astrology सूर्य की चलती स्थिति पर आधारित है और इसे “tropical” ज्योतिष कहते हैं।
वैदिक ज्योतिष में आकाश को 12 राशियों में बांटा जाता है, जो ग्रहो के हिसाब से स्थिर रहती हैं। यह प्रणाली आकाशगंगा के केंद्र को महत्व देती है, जिसे “विष्णु नाभि” कहा जाता है। इसके विपरीत, पश्चिमी ज्योतिष सूर्य के वार्षिक चक्र और विषुवों (equinoxes) पर आधारित है, जिसमें वसंत विषुव को 0 डिग्री मेष माना जाता है और इस बिंदु से राशियाँ बनाई जाती हैं।
सभी के मूल्यांकन से यह पता चलता है की vedic astrology ज्यादा accurate है। क्योंकि यह स्थिर नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति पर आधारित है।
FAQs Frequently Asked Questions
Vedic astrology के अनुसार कौन से ग्रह शादी में देरी का कारण बनते हैं?
वैदिक एस्ट्रोलॉजी के अनुसार कुंडली में शनि, राहु, केतु, और मंगल जैसे ग्रह शादी में देरी का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, 7वें भाव का कमजोर या दूषित होना भी विवाह में देरी कर सकता है।
Vedic astrology में कोण से ग्रह नौकरी या व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं?
नौकरी या व्यवसाय के लिए सूर्य, बुध, और शनि मुख्य रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है, बुध वाणिज्य और संचार का कारक है, जबकि शनि परिश्रम और धैर्य का प्रतीक है। इसके अतिरिक्त, दशम भाव (10th House) का स्वामी और ग्रहों की स्थिति भी कैरियर पर असर डालती है।
Vedic astrology में पंचांग का क्या महत्व है?
पंचांग भारतीय कैलेंडर है, जिसमें तिथि, नक्षत्र, योग, करण, और वार की जानकारी दी जाती है। इसे शुभ मुहूर्त निर्धारण, व्रत-त्योहार की तिथियों, और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रयोग किया जाता है।
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अपनी कुंडली में सातवें भाव के स्वामी (सेवंथ हाउस लॉर्ड) का स्थान देखकर आप जान सकते हैं कि आपका जीवनसाथी कब और कहां मिलेगा।
उदाहरण के लिए, अगर सातवें भाव का स्वामी नवम भाव में है, तो संभावना है कि आप अपने जीवनसाथी से किसी धार्मिक स्थान या परिवार के किसी संबंधी के माध्यम से मिलें।
इसी प्रकार, अगर स्वामी दसवें भाव में है, तो मुलाकात माता के किसी परिचित के माध्यम से हो सकती है। बस अपनी कुंडली देखें और उसके अनुसार अनुमान लगाएं।