दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की हाल ही में हुई गिरफ्तारी ने देश की राजनीतिक दलों में आग लगा दी है। इस घटना के पीछे एक शराब घोटाले का मामला है, जो दिल्ली की राजनीति में बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस लेख में हम इस मामले की गहराई से जानकारी प्राप्त करेंगे और इसके परिणामों पर विचार करेंगे।
भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिसने भारतीय राजनीति को अपने घेरे में ले लिया है। इसके निर्मूलन के लिए सतत प्रयासों के बावजूद, यह समस्या अब तक खत्म नहीं हुई है। भ्रष्टाचार के मामले में हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री, Arvind Kejriwal arreste हो गए है, जिसमें शराब घोटाले के आरोप हैं।
शराब घोटाले का क्या है मामला क्यों ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया क्या आगे आने वाले वक्त में जेल से ही सरकार चलेगी ईडी के पास इतनी ताकत कैसे होती है। कि वह एक के बाद एक नेताओं को गिरफ्तार कर लेती है आम आदमी पार्टी के वह कौन-कौन से नेता हैं जो फिलहाल जेल की सलाखों के अंदर है ऐसे तमाम सवाल आपके मन में आज होंगे।
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Arvind Kejriwal के शराब घोटाले का सच:
17 नवंबर 2021 को, दिल्ली सरकार ने एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य शराब कारोबार पर नियंत्रण बनाना था। इसके बाद से, शराब घोटाले के मामले में विवाद है। 8 जुलाई 2022 को, दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव रहे नरेश कुमार की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस घोटाले के पीछे मनीष सिसौदिया और अन्य नेताओं का हाथ था। उन्हें शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया गया था।
Arvind Kejriwal पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
केजरीवाल के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्हें यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनके लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने अनेक गलत कार्य किए हैं। then इस आरोप के अनुसार, केजरीवाल और उनकी पार्टी ने शराब घोटाले में भाग लिया और लोगों को धोखा दिया। also यह आरोप न केवल उनकी नैतिकता को सवालित करता है
, also उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करता है। इस संदर्भ में, केजरीवाल and उनकी पार्टी के खिलाफ गंभीर जांच चाहिए ताकि सच्चाई का पता लग सके और लोगों के विश्वास को फिर से जीता जा सके।एक मौजूद जदा मुख्यमंत्री का गिरफ्तार हो जाना भारत के इतिहास की तारीख में हमेशा याद रखा जाएगा
अरविंद केजरीवाल को नौ बार ED ने समन भेजा लेकिन उसके बाद जब 10वां समन आया तब गुरुवार शाम ईडी खुद अरविंद केजरीवाल के निवास त पहुंच गई alsoअरविंद केजरीवाल से घंटों पूछताछ की गई then उनसे अलग-अलग सवाल पूछे गए then उसके बाद वो पीएमएलए की धारा 50 जिसको लेकर कहा जाता है कि नेताओं को बड़ा डर लगता है।
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खासतौर पर विपक्ष के नेताओं को इस धारा से डर लगता है but विपक्ष के एक के बाद एक नेता अक्सर इसी पीएमएलए के चलते जेल जाते हैं and उसी के तहत अरविंद केजरीवाल का बयान दर्ज हुआ also फिर गिरफ्तारी की खबर आ गई हम आपको बता दें कि इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने हालांकि कोशिश की थी गुरुवार को दोपहर ई बजे हाई कोर्ट वो गए थे और दिल्ली के सीएम के गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याशिका डाली गई थी।
लेकिन उस याचिका को खारिज कर दिया गया था but अरविंद केजरीवाल ने तब कोर्ट से यह भरोसा मांगा था कि अगर वो ईडी के पास पूछताछ के लिए जाते हैं also उन्हें यह सुनिश्चित किया जाए कि उनकी गिरफ्तार नहीं की जाएगी कोर्ट ने साफ किया कि केजरीवाल को ईडी के सामने पेश होना होगा उनकी गिरफ्तारी पर लेकिन कोई रोक नहीं है then ऐसी कोई बात सामने नहीं आई अब बड़ी बात यह कि शराब घोटाला क्या है।
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Arvind Kejriwal पर हुई ईडी की कार्रवाई का विवरण
तो तीन बड़े नाम जो हम आपको बताने वाले हैं also शराब घोटाले को लेकर सबसे पहले नाम एक जमाने में डिप्टी सीएम रहे वह मनीष सिसौदिया जिनके अखबार वाशिंगटन पोस्ट में उनके बारे में आर्टिकल छपते थे मनी सिसौदिया जिन्हें 26 फरवरी साल 2022 को जेल में डाला गया दिल्ली में जब नई शराब नीति लागू हुई थी।
then तब उस दौर में आपकारी विभाग मनी सिसौदिया के पास ही था आरोप उन पर था कि आप कार्यमंत्री होने के नाते सिसौदिया ने उस दौर में मनमाने and एक तरफा फैसले लिए थे also जिससे सरकारी खजाने को तो नुकसान पहुंचा था
but उनके करीबी शराब कारोबारी जो थे then उन्हें जबरदस्त फायदा हुआ था। सिसौदिया तब वो डिप्टी सीएम हुआ करते थे also उस दौर में वो खबर भी अपने आप में बड़ी थी क्योंकि केजरीवाल की पार्टी के सबसे बड़े चेहरों में से एक मनी सिसौदिया थे।
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इसके बाद दूसरा नाम जो आता है वह आता है राज्यसभा सांसद संजय सिंह का ईडी की चार्जशीट के मुताबिक आरोपी दिनेश अरोड़ा ने संजय सिंह से मुलाकात की थी संजय सिंह के कहने पर अरोड़ा ने दिल्ली चुनाव के लिए फंड जुटाया and 22 करोड़ का चेक जो था then वोह सिसौदिया को सौंपा इसके बदले संजय सिंह ने अरोड़ा का एक मामला सुलझाया जो एक्साइज डिपार्टमेंट के पास पेंडिंग था
संजय सिंह पिछले साल 4 अक्टूबर से जेल में बंद है वो भी आदमी पार्टी के बड़े नेताओं में रहे हैं और अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते थे then इसके अलावा के कविता ईडी का यह दावा है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के विजय नायर and दूसरे लोगों ने साउथ ग्रुप ने जो 100 करोड़ की रिश्वत दी थी
then उसमें इनका भी नाम था कविता इसी साउथ ग्रुप का हिस्सा थी also इस ग्रुप में दक्षिण के तमाम राजनेता नौकरशाह कारोबारी मौजूद थे ईडी के माने तो कि कविता ने 19 or 20 मार्च 2021 को आरोपी विजय नायर से मुलाकात की कविता कोयड़ा 15 मार्च मार्च को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था।
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Why Is Arvind Kejriwal Arrested
आपके मन में सवाल होगा कि यह मामला तो बीते दो-तीन साल से चल रहा है ऐसे में अरविंद केजरीवाल कैसे फंस गए तो हम आपको बता दें कि ईडी के समन की शुरुआत जो है and वो आज से नहीं हुई थी नौ समन जो पहले आए हैं।
उसमें से पहला समन पिछले साल 2 नवंबर को आया था और यह समन जो था यह भी पीएमएलए के तहत यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लरिंग एक्ट के तहत जारी किया गया था but ईडी की चार्जशीट में कई बार सीएम केजरीवाल ke नाम आया आरोप है। कि जब एक्साइज पॉलिसी 20212 तैयार की जा रही थी। also तब कई आरोपी ऐसे थे।
जो केजरीवाल के संपर्क में थे ईडी ने एक चार्जशीट में दावा किया कि एजेंसी ने भारत राष्ट्र समिति बीआरएस के नेता के के कविता के अकाउंटेंट बुची बाबू का बयान दर्ज किया था और वहीं पर यह पता लगा कि कविता केजरीवाल सिसौदिया इनके बीच में एक अंडरस्टैंडिंग थी इसी दौरान के कविता ने मार्च 2021 में विजय नायर से मुलाकात की इस मामले में एक और आरोपी दिनेश अरोड़ा ने ईडी को बताया
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कि उसने केजरीवाल के आवास पर मुलाकात की थी। ईडी का यह कहना है कि वाईएसआर कांग्रेस के सांसद मुंगा रेड्डी और केजरीवाल के बीच कई सारी बैठक भी उस दौर में हुई थी केजरीवाल ने दिल्ली के शराब कारोबार में रेड्डी को एंट्री का स्वागत किया था पूछताछ में बुची बाबू और आरोपी अरुण पिल्लई ने खुलासा किया
कि एक्साइज पॉलिसी को लेकर केजरीवाल और सिसौदिया के साथ मिलकर वो काम कर रहे थे साथ ही आरोपी विजय नायर ने वीडियो कॉल के जरिए केजरीवाल और गिरफ्तार आरोपी समीर महेंद्रू से बातचीत करवाई थी इसी दौरान केजरीवाल ने समीर से कहा था कि विजय उनका आदमी है और उस व्यक्ति पर वो भरोसा कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
Arvind Kejriwal की गिरफ्तारी ने दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ उत्पन्न किया है। यह मुद्दा न केवल उनकी राजनीतिक करियर को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे उन्हें राजनीतिक दायित्व के प्रति जवाबदेही का भी आह्वान होगा।
इस घटना से साफ होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए भी, राजनीतिक नेताओं को अपने कार्यों की प्राथमिकता देनी चाहिए। निष्कर्ष साबित होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सत्य, ईमानदारी, और निष्पक्षता ही हमेशा जीतती है।