आज के इस ब्लॉग में chaitra navratri में माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करने की महिमा का वर्णन करंगे।चैत्र नवरात्री अप्रैल महीने में शुरू होते है। नवरात्रि में माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और यह दिन शक्ति की उपासना के होते हैं।
तो नवरात्रि के प्रथम दिन जो उगाने का कारण बताएंगे। also साथ ही Chaitra Navratri me vivah ke upay सरल उपाए आपको यहां पता चलेँगे तो चलिए शुरू करते है। और जानते है की इस बार माता की क्या सवारी है।
Chaitra Navratri Significance
हिन्दू धर्म में chaitra navratri का महत्वा अत्यंत गहना और पवित्र है। ये पर्व ना सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, इसका प्रभाव हमारी संस्कृति है then समाज और व्यक्तित्व पर भी गहरा महत्त्व है।
नवरात्रि के नौ दिन, विविध देवियों की उपासना and अलग-अलग रंगों का महत्व है, also जो हमारे जीवन में शुभता और समृद्धि को लाता है। इस अवसर पर हम अपने मन, वचन और कर्म को पुन: संकल्प देते हैं,
साथ ही सामाजिक and आर्थिक दृष्टि से भी पुनर्विचार करते हैं। चैत्र नवरात्रि का महत्व हमारे जीवन में शक्ति, साहस और सद्भावना का प्रदर्शन करता है, also हम मानवता और समाज की सेवा में प्रेरित करते हैं।
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Chaitra Navratri ya Shardiya Navratri के पहले दिन जो क्यों बॉय जाता
Chaitra Navratri ya Shardiya Navratri में जो बोने के पीछे एक कथा है। ऐसा माना जाता है की जो बोन की परंपरा शाकंभरी देवी से जुड़ी हुई है। जिससे जुड़ी कथा का वर्णन दुर्गा सप्तशती से किया गया है
दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय में वर्णित कथा के अनुसार देवी और देवताओं की स्तुति से प्रश्न होने पर शाकंभरी देवी सभी देवी देवताओं से कहती है की देवताओं जब पृथ्वी पर 100 वर्षों के लिए वर्षा रुक जाएगी और पानी का अभाव हो जाएगा। then उसे समय मुनियों के स्तवन यानी स्तुति करने पर मैं पृथ्वी पर रूप में प्रकट होगी and अपने सोनी मुनियों को देखूंगी।
अतः मनुष्य शताक्षी नाम से मेरा कीर्तन करेंगे देवताओं उसे समय में अपने शरीर से उत्पन्न हुए शकुन द्वारा समस्त संसार का भरण पोषण करूंगी and जब तक वर्षा नहीं होगी तब तक पेशाब ही सबके प्राणों की रक्षा करेंगे ऐसा करने के करण पृथ्वी पर शाकंभरी के नाम से मेरी खेती होगी also ऐसा माना जाता है
की देवी के शरीर से उत्पन्न हुए शार्क जो ही थे और इसीलिए हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कमजो के बिना अधूरा माना जाता है साथ ही यह भी माना जाता है की सृष्टि में सबसे पहले फसल जो ही थी और यही वजह है की जो को हिंदू धर्म ग में पूर्ण फसल की मान्यता दी गई है
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Chaitra Navratri Kyu Manaya Jata Hai
एक बार एक गुरु बृहस्पति ने ब्रह्मा जी से सवाल किया की है ब्रह्मा देव chaitra navratri kyu manaya jata hai तब ब्रह्मा जी ने कहा बृहस्पति तुम्हारे इस प्रश्न का हाल इस कथा में छुपा है। बहुत साल पहले मनोहर नगर में एक अनार ब्राह्मण रहा करता था जिसका नाम पीठत था।
वह देवी दुर्गा का बहुत बड़ा भक्ति हुआ करता था होने पर उसकी शादी हुई and फिर कुछ दोनों के बाद उसके पत्नी ने एक कन्या को जन्म दिया जिसका नाम सुनती रखा गया then जब उसे कन्या को ज्ञान हुआ तो जब भी पीठात देवी दुर्गा की पूजा अर्चना करता वह कन्या वहां बैठी रहती।
but एक दिन वह कन्या देवी दुर्गा की पूजा में बैठने की बजे अपनी सहेलियां सॉन्ग खेलने चली गई यह देख पीठाधी अपनी पुत्री पर क्रोधित हो गया then उसके पास जाकर कहने लगा हे दुष्ट आज तुमने मां दुर्गा की पूजा क्यों नहीं की।
इस अपराध के लिए मैं तेरी शादी एक कुष्ठ रोग से ग्रसित युवक से कर दूंगा पिता की बातें सुनकर सुनती को बड़ा दुख हुआ लेकिन वह अपने पिता से बोली पिताजी में आपकी पुत्री हूं andआप जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं अगर मेरे भाग में कुष्ठ रोग के पति ही लिखा होगा।
तो मैं क्या कर शक्ति हूं क्योंकि जो इंसान जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है because कर्म करना मनुष्य के अधीन है पर फल देना ईश्वर के अधीन है then अपनी पुत्री सुनती के मुख से ऐसी बातें सुनकर पीठत का क्रोध or बाढ़ गया then इसी क्रोध में आकर उसने कुछ दोनों बाद अपनी कन्या का विवाह एक कुड रोगी से कर दिया।
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विवाह के बाद जब सुनती अपने ससुराल को जान लगी तो पीठात ने कहा की बेटा अपने कर्मों का फल भिगो देखें भाग्य के भरोसे रहकर क्या करती हो पिता की बातें सुनकर सुनती सोने लगी क्या सच में मेरा भाग्य इतना खराब है।
जो मुझे कुछ रोगी से ग्रस्त पति मिला फिर वह अपने पति के साथ वन में चली गई और फिर अगले दिन देवी दुर्गा सुनती के सामने प्रकट हुई और बोली है पुत्री में तुमसे प्रश्न हूं और तुम जो चाहे वह वरदान मांग शक्ति हो तब सुनती बोली की है देवी आप कौन हैं।
मैंने आपको आज से पहले कभी नहीं देखा तब मां दुर्गा बोली है पुत्री मैं आदिशक्ति भगवती हूं और मैं तुम्हारे पूर्व जन्म के पढ़ने के प्रभाव से प्रश्न हूं देवी दुर्गा की बातें सुनकर सुनती ने कहा मां में पिछले जन्म में कौन थी कृपया मुझे विस्तार से बताइए देवी बोली पुत्री पिछले जन्म में तुम बेल की पत्नी थी एक दिन तुम्हारे पति ने चोरी की और सैनिको ने तुम दोनों को पड़कर कारगर में बंद कर दिया।
उन लोगों ने तुम दोनों को भजन भी नहीं दिया उसे समय नवरात्र का दिन चल रहा था और तुम दोनों ने नवरात्र लखनऊ लखनऊ में कुछ भी नहीं खाया और ना ही जल्पीय था जी करण अनजाने में ही सही लेकिन तुम्हारा नो दोनों तक नवरात्र का व्रत हो गया। और इस व्रत के प्रभाव से प्रश्न होकर मैं तुझे यहां वरदान देने आई हूं।
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आगे पढ़े Chaitra Navratri के पीछे का कारन
तब सुनती बोली हेमा अगर आप मुझे कोई वरदान देना चाहती हैं तो मेरे पति को कोड से मुक्त कर दीजिए तब मां दुर्गा ने कहा पुत्री नवरात्र के एक दिन का पूर्णिया तुम अर्पण करो तुम्हारा पति निरोग हो जाएगा।
फिर सुनती ने ऐसे ही किया और उसका पति ने रॉक हो गया यह देख सुनती देवी की स्तुति करने लगी सुनती की बातें सुनकर देवी बहुत प्रश्न हुई और फिर नवरात्र व्रत की विधि विस्तार से बताते हुए कहा है।
पुत्री नवरात्र में नो दिन तक विधिपूर्वक व्रत करना यदि दिन भर का व्रत ना कर सके तो एक समय भजन करें विद्वान ब्राह्मण से पूछ कर घाट स्थापना करें और महाकाली महालक्ष्मी देवी की मूर्तियां स्थापित कर
उनके विधि विधान पूजा करें और पुष्पों से विधिपूर्वक अध्ययन 9 दोनों में जो कुछ दान कर शक्ति हो वो जरूर करना नवरात्र व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है इसके बाद देवी अंतर्ध्यान हो गई।
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Chaitra Navratri Ke Upay
Chaitra Navratri के प्रथम दिन पर आपको विशेष उपाय करना है आपको एक जटा वाला नारियल ले लेना है। जिसमे पानी हो। then इसके ऊपर एक स्वास्तिक बना दीजिए और लाल रंग की चुन्नी या लाल रंग के कपड़े में बांधकर आप अपने घर के मंदिर में रख दीजिए।
also 9 दिन के बाद Chaitra Navratri समाप्ति होने के बाद इस नारियल को अपने घर के प्रत्येक सदस्य के सर पर से वार कर अपनी तिजोरी में स्थापित कर दीजिए। ऐसा करने से जो भी आपके मां में मनोकामना है। वह बहुत जल्दी ही आपको पूर्ण होती दिखाई देगी।
जब आपके मनोकामना पूर्ण हो जाए तब आप इस नारियल को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। and ध्यान रखे की एक मनोकामना के लिए एक नारियल रखा जाएगा।
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Chaitra Navratri me vivah ke upay
देवीभागवत में Navratri में विवाह के उपाय जिक्र है। यह उपाय किसी भी नवरात्री में पंचमी के दिन आम के पत्ते पर हल्दी और सिंदूर दोनों से स्वास्तिक बनाये। एक ही पते पर दो स्वास्तिक बनाये but एक हल्दी का बनेगा and एक सिंदूर का।
जो हल्दी का स्वस्तिक है उस पर कंकू के चावल यानि रोली के चावल और सिंदूर वाले स्वास्तिक पर हल्दी के चावल रखे। also जिस लड़का या लड़की का विवाह नहीं होता उसकी हथेली पर रखकर।
उसका नाम और गोत्र बोलकर उसे नीम के पेड़ के नीचे रख दे। यह उपाए करने मात्र से ही तीन या चार महीने के अंदर उस लड़का या लड़की का विवाह पक्का हो जाता है।
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Chaitra Navratri का दूसरा उपाए
दुश्मनों से कड़वाहट हटाने के लिए यहां उनकी गड़बड़ियां को ठीक करने के लिए Chaitra Navratri में हनुमान जी के माथे की सिंदूर से एक मोर पंख पर उस व्यक्ति का नाम लिखिए।
then इस मोर पंख को घर के मंदिर में जाकर रख दीजिए और आप चाहे तो किसी भी पानी वाली जगह के पास भी छोड़ सकते हैं। and यह काम आपको मंगलवार या शनिवार की संध्या के समय करना है।
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Difference Between Chaitra Navratri And Sharad Navratri
Chaitra Navratri से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि का महत्व खासकर महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश तेलंगाना और कर्नाटक में रहता है। इन दिनों में साधना का खासा महत्व रहता है।
चेत्र नवरात्र के अंत में रामनवमी आती है इसलिए नवरात्रि में शक्ति और विष्णु दोनों की आराधना की जाती है। then श्री राम ने रावण का वध किया था।
therefore इस नवरात्रि में विशुद्ध रूप से शक्ति की उपासना की जाती है। and इसमें कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है। aslo इसे आध्यात्मिक शिक्षाओं की पूर्ति सिद्धि मोक्ष है हेतु मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि में बसंत का आगमन होता है
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sharad navratri
शारदीय नवरात्रि वर्ष के मध्य का समय होता है। शारदी नवरात्रि का महत्व खासकर पश्चिम बंगाल और गुजरात में रहता है also इन दिनो में दुर्गा पूजा और आराधना का खासा महत्व रहता है।
sharad navratri के अंत में दुर्गा महानवमी आती है and दूसरे दिन विजयादशमी आती है मान्यता है कि विजयादशमी के दिन जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।
also इसमें सात्विक साधना नृत्य उत्सव मनाया जाता है। इसे सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु मनाया जाता है। and शारदीय नवरात्रि ने जाड़े का आगमन होता है।
Chaitra Navratri Me Kya Karna Chahiye
माता रानी को प्रसन्न करने के लिए chaitra navratri me ये करे।
मां जगदंबे को प्रसन्न करने के लिए उनके समक्ष मिट्टी के दीपक में अखंड जोत जलाएं तो विशेष फलदाई होगा। but एक बात का ध्यान रखें कि नौ दिनों तक यह ज्योति अवस्य जलनि चाहिए। अगर यह संभव नहीं तो वैकल्पिक रूप से आप त्योहार के समापन तक daily सुबह or शाम को आरती भी कर सकते हैं।
एक अखंड ज्योत जलाने का विधान भी है। लाल रंग मा दुर्गा का सबसे प्रिय रंग इसलिए पूजा में लाल चुनरी और लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल जरूर करें। पूजा के दौरान आप भी लाल रंग के ही कपड़े पहने और प्रतिदिन माता का श्रृंगार भी जरूर करें।
पूजा करने के बाद दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अगर दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ नहीं कर सकते तो कम से कम ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मन्त्र की एक माला हर रोज अवश्य करें।
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Chaitra Navratri Me Kya Nhi Karna Chahiye
नवरात्रि के नौ दिनों में लहसुन प्याज का सेवन बिलकुल न करें। इस दौरान शराब और मांसाहारी भोजन से भी परहेज़ करें।
इसके अलावा नवरात्रि के दौरान दिन में सोना भी वर्जित है नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान उबाल ना कटवाए और शेविंग भी ना करें
एक सात्विक जीवन शैली का पालन करें इसमें दूसरों की आलोचना या लड़ाई करना शामिल ना हो
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Conclusion-
chaitra navratri का महत्व अत्यंत उत्तम है। यह पर्व हमें देवी दुर्गा की अनन्य भक्ति में लिपटने का अवसर प्रदान करता है। चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि के पहले दिन जो बोना इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चैत्र नवरात्रि मानाने पीछे की कथा का जिक्र बहुत जरुरी है। इस पर्व में पूजा-अर्चना, व्रत और ध्यान करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बीच अंतर तो है but दोनों ही माँ दुर्गा को पूजा करने का मौका देते है।
जो हमें शक्ति और आत्मशक्ति की प्राप्ति में सहायक होता है। इसे मनाने के साथ ही हमें नेगेटिविटी से दूर रहने की सलाह भी दी जाती है ताकि हम इस पर्व के महत्व को सही तरीके से समझ सकें और सरल उपाए जो हमने बताये है इनका समानांतर लाभ उठाए।
FAQs- Frequently Asked Questions
Q- चैत्र नवरात्रि के अंत में क्या महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है?
Ans- चैत्र नवरात्रि के अंत में, राम नवमी मनाई जाती है,also भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कन्यापूजा, भजन, और समुदाय में अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
Q- चैत्र नवरात्रि में कैसे पूजा की जाती है?
Ans- चैत्र नवरात्रि में, लोग नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष पूजा करते हैं। हर दिन कोई नया अवतार ki पूजा कि जाती है, जैसे मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा and more। पूजा में ध्यान, भजन, और आरती शामिल होते हैं।
Q- चैत्र नवरात्रि में क्या खास भोजन बनाया जाता है?
Ans- चैत्र नवरात्रि में लोग व्रत के दौरान नमकीन and तामसिक भोजन का सेवन नहीं करते हैं। also साबुदाना, केले, स्वांग के आटे से बने पकवान, और फल विशेषरूप से पसंद किए जाते हैं।
Q- 2024 Chaitra Navratri में मां दुर्गा के आने की सवारी क्या होगी
Ans- Navratri में मंगलवार और शनिवार के दिन मां का आगमन घोड़े पर होता है तो इस बार माता का जो वाहन है वह घोड़ा है।