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Baby Boy/Girl Ke Liye Perfect Namkaran Baby Names by DOB

Baby Boy or Girl Ke Liye Perfect Namkaran Baby Names by DOB

बच्चे का Namkaran करना हर माता-पिता के लिए एक बेहद खास पल होता है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का नाम लकी भी हो, तो सिर्फ पसंद से नहीं, बल्कि जन्म तारीख (DOB) और जन्म समय के अनुसार सही तरीके से नाम रखना चाहिए।

इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि कैसे जन्म कुंडली से बच्चे के नाम का प्रथम अक्षर जानकर, शुभ और भाग्यशाली नाम रखा जा सकता है।

इसके अलावा, हम जानेंगे कि नामकरण के लिए सही समय और मुहूर्त क्या होते हैं, और अगर आप सही नाम या सही समय पर नामकरण नहीं कर पाते, तो उसके समाधान क्या हो सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं!

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Namkaran sanskar शास्त्रों के अनुसार

बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहला और सबसे खास संस्कार होता है — नामकरण संस्कार
लेकिन क्या आप जानते हैं कि नामकरण सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि शास्त्रों के अनुसार सही तरीके से किया जाए तो यह बच्चे के भविष्य को उज्ज्वल और सफल बना सकता है। 

हमारे संस्कारों में नामकरण संस्कार को पांचवा संस्कार माना गया है। यह संस्कार जन्म के बाद किया जाता है। जन्म से पहले कुछ संस्कार होते हैं जैसे गर्भाधान, पुंसवन और सीमंतोन्नयन संस्कार।

जन्मतिथि के अनुसार बच्चे का नामकरण

इसके बाद, जन्म के बाद शुद्धि, नामकरण, मुंडन आदि संस्कार होते हैं। नामकरण संस्कार शुद्धि के बाद, लगभग दसवें दिन किया जाता है, ताकि परिवार और बच्चे को सूतक से मुक्ति मिल सके।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि “यथा नाम, तथा गुण”, अर्थात जिस प्रकार का नाम होता है, उसी प्रकार के गुण और कर्म उस व्यक्ति में दिखाई देते हैं।

आपने कई बार देखा होगा कि अच्छे नाम वाले लोग अपने नाम के अनुरूप ही सफलता और शांति प्राप्त करते हैं। हालांकि, कुछ अपवाद भी होते हैं, लेकिन कुल मिलाकर नाम का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

नामकरण संस्कार सामग्री

Namankaran puja samagri items
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नामकरण संस्कार बच्चे के जीवन का पहला और सबसे शुभ संस्कार होता है। इसे सही विधि और शुद्ध सामग्री से करना बहुत जरूरी है। हमारे नामकरण संस्कार सामग्री पैकेज में आपको वह सब कुछ मिलेगा जो शास्त्रों के अनुसार आवश्यक है। इसे घर बैठे मंगवाइए और अपने बच्चे का नामकरण पूर्ण विधि से सम्पन्न कीजिए।
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Namankaran puja samagri hawan samagri item
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Namkaran sanskar kab kre ?

पुत्र या पुत्री के जन्म के बाद सबसे पहले 10 दिन तक शुद्धि का समय रखा जाता है। 11वें दिन या उसके बाद जब भी कोई शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) उपलब्ध हो, उस दिन नामकरण संस्कार करना चाहिए।

Namkaran sanskar kab kre
Namkaran sanskar kab kre

नामकरण के लिए विशेष मुहूर्त का पालन किया जाता है। आमतौर पर यह संस्कार 11वें दिन किया जाता है, लेकिन कुछ परंपराओं में इसे 21वें दिन भी किया जाता है। यदि ये दोनों दिन सही नहीं पड़ते, तो 12वें दिन भी नामकरण किया जा सकता है। इस दौरान ध्यान रखने योग्य मुख्य बिंदु होते हैं:

  • नक्षत्र: नामकरण के लिए उत्तरा, उत्तरा साडा, उत्तरा भाद्रपद जैसे शुभ नक्षत्रों का चयन करना चाहिए।
  • वार: सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को नामकरण करना शुभ माना जाता है।
  • तिथि: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथियों को विशेष रूप से अच्छा माना जाता है।

 ध्यान रहे:

गूगल पर देखकर, पुस्तक पढ़कर, या किसी से सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा करके नामकरण नहीं करना चाहिए। किसी विद्वान ब्राह्मण या पुरोहित से सही मुहूर्त निकलवाकर शास्त्रीय विधि से नामकरण करना चाहिए।

Namkaran के पांच प्रकार

नामकरण के पांच प्रमुख प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

कुल देवता का नाम: परिवार और कुल देवता के नाम से संबंधित नाम।

जन्म माह का नाम: जिस माह में जन्म हुआ है, उस माह के स्वामी के अनुसार नाम।

राशि के अनुसार नाम: नामकरण राशियों के अनुसार किया जाता है।

प्रसिद्ध नाम: समाज में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला नाम।

घर का नाम: यह नाम परिवार द्वारा पुकारे जाने वाला नाम होता है, जैसे चिंटू, मिंटू आदि।

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Bacche ka namkaran के लिए क्या जरूरी है?

नामकरण के लिए आपको ये तीन मुख्य जानकारियाँ चाहिए:

  • बच्चे की जन्म तिथि (Date of Birth)
  • जन्म समय (Time of Birth)
  • जन्म स्थान (Place of Birth)

इन तीनों जानकारियों से बच्चे की जन्म कुंडली (Birth Chart) बनाई जाती है।

नामकरण सीखे पञ्चाङ्ग से, बिना ऐप, सॉफ्टवेयर के

Panchang se Naamkaran sikhiye, bina app ya software ke
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अगर आप भी किसी बच्चे का नामकरण करना चाहते हैं और सोच रहे हैं कि उसके जन्म के समय कौन सा नक्षत्र और चरण था, यहाँ आपको बहुत ही सरल भाषा में बताएंगे कि कैसे आप बिना किसी ज्योतिषी के खुद ही नक्षत्र और चरण जान सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं!

नक्षत्र और चरण क्या होता है?

सबसे पहले समझते हैं कि नक्षत्र और चरण क्या होते हैं। जन्म के समय चंद्रमा आकाश में जिस नक्षत्र में होता है, वही बच्चे का नक्षत्र कहलाता है। हर नक्षत्र के अंदर चार-चार छोटे भाग होते हैं, जिन्हें “चरण” कहते हैं। नामकरण करते समय नक्षत्र के चरण के हिसाब से अक्षर तय किया जाता है।

Baby namkaran by date of birth जन्म तारीख से नाम कैसे निकाले

bacche ka namkaran आप स्वयं इस प्रकार कर सकते है। मान लीजिए किसी बच्चे का जन्म 3 मई को सुबह 9:15 बजे हुआ है। अब हमें यह पता करना है कि उस समय कौन सा नक्षत्र और कौन सा चरण था। फोटो में दिखाए गए नक्षत्र चार्ट को देखे। 

इसके लिए आपको एक नक्षत्र चार्ट या जन्मपत्री टाइम टेबल चाहिए, जिसमें 24 घंटे का फॉर्मेट दिया हो।

उस चार्ट में यह लिखा होगा:

धनिष्ठा नक्षत्र 22:45 बजे तक था।

उसके बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो गया।

ऊपर बताया था की हर नक्षत्र के 4 चरण होते है। अब शतभिषा नक्षत्र के चरण कुछ इस तरह होते हैं:

प्रथम चरण : 22:45 से 04:41 तक

द्वितीय चरण : 04:41 से 10:34 तक

तृतीय चरण : 10:34 से 16:28 तक

चतुर्थ चरण : 16:28 से 22:22 तक

अब देखिए, 9:15 का समय किस चरण में आता है?

सुबह 9:15 बजे का समय 4:41 से 10:34 के बीच आता है। इसका मतलब है कि बच्चा शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण में पैदा हुआ है।

Namkaran करने के लिए द्वितीय चरण का अक्षर कौन सा होगा?

हर चरण का एक-एक अक्षर तय होता है। शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण के अक्षर होते हैं:

सा, सी, सू, से

यानि आप बच्चे का नाम इन अक्षरों से शुरू कर सकते हैं। जैसे: सागर, सीता, सूरज, सेजल also आप चाहें तो कोई भी अच्छा नाम चुन सकते हैं जो इन अक्षरों से शुरू होता हो। 

नोट: यह जानकारी केवल ज्ञान के उद्देश्य से है। अपने bacche ka namkaran करने के लिए हमेशा एक योग्य पंडित का सहारा ले। but हा आप bacche ki namkaran विधि के लिए  Namankaran puja samagri complete hawan samagri kit जिसकी पंडित को जरूरत पड़ेगी जरूर buy कर सकते हो। 

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Best Nakshatra for Naamkaran Sanskar

शास्त्रों में बताया गया है कि कुछ नक्षत्र (Nakshatra) नामकरण के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का भविष्य सफल और उज्ज्वल हो, तो इन नक्षत्रों में नामकरण करना सबसे उत्तम रहेगा 

नक्षत्र का नामक्यों शुभ है नामकरण के लिए?
अश्विनी (Ashwini)तेज, ऊर्जा और लीडरशिप की शक्ति देता है।
मृगशिरा (Mrigashira)जिज्ञासु, समझदार और विनम्र स्वभाव के लिए उत्तम।
पुष्य (Pushya)सबसे श्रेष्ठ नक्षत्र, जीवन में समृद्धि और सम्मान लाता है।
हस्त (Hasta)चतुरता, कला और सौम्यता का प्रतीक।
अनुराधा (Anuradha)मित्रता, प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है।
श्रवण (Shravana)शिक्षा, ज्ञान और धार्मिकता के लिए शुभ।
उत्तराषाढ़ा (Uttarashada)सफलता, स्थिरता और दीर्घकालिक तरक्की का सूचक।
रेवती (Revati)शांति, सौंदर्य और करुणा को बढ़ावा देता है।

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Lucky Names or Baby Names Generator 

बच्चों के नाम चुनने में अक्सर माता-पिता को कठिनाई होती है। एक निशुल्क “Baby Name Generator” टूल इस काम को आसान बना सकता है। यह फ्री टूल विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और आधुनिक नामों की सूची प्रदान करता है।

जिससे आप बच्चे के लिए एक अद्वितीय and  शुभ नाम चुन सकते हैं। इसके अलावा, कुछ जनरेटर तो नक्षत्र, राशि और जन्म तिथि के आधार पर भी नाम सुझाते हैं, जिससे नाम का चुनाव शास्त्रों के अनुसार किया जा सकता है।

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बच्चों के नामकरण में इन बातों का जरूर रखें ध्यान 

जब भी बच्चे का नाम रखना हो, तो कुछ जरूरी बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। नाम रखते समय बच्चे के नक्षत्र और जन्म के समय को भी ध्यान में लेना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सही तरीके से रखा गया नाम बच्चे के भविष्य में उसे भाग्यशाली बनाता है।

नाम ऐसा रखें जो सुनने में प्यारा लगे, कानों को चुभे नहीं और तेज आवाज में पुकारने पर भी अच्छा लगे। साथ ही, नाम अपने सरनेम (उपनाम) के साथ भी अच्छा सुनाई दे। केवल फैशन या ट्रेंड देखकर नाम न रखें, क्योंकि हर ट्रेंड सही नहीं होता।

नाम का positive अर्थ होना चाहिए। बड़ा या कठिन नाम भी बच्चे के लिए मुसीबत बन सकता है, इसलिए छोटा और आसान नाम चुनें। नाम रखते समय जल्दबाजी से बचें।

Also इन बातों का भी जरूर रखें ध्यान

सोच-विचार कर, किसी ज्ञानी व्यक्ति से सलाह लेकर ही नाम रखें, क्योंकि नाम का बच्चे के पूरे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। किसी दुर्घटना, महामारी या बुरी घटना के आधार पर नाम न रखें।

जैसे, कोरोना के समय कुछ लोगों ने अपने बच्चों का नाम कोरोना रख दिया था, जो उचित नहीं है। नाम ऐसा होना चाहिए जो आजीवन अच्छा लगे और सकारात्मक प्रभाव डाले।

नाम का असली मतलब यह है कि जब भी किसी भीड़ में आपका नाम पुकारा जाए, तो आप तुरंत उसे पहचान लें। चाहे गहरी नींद में हों या कहीं भी हों, अपने नाम की आवाज सुनते ही ध्यान उसकी ओर खिंच जाए — यही नाम की असली पहचान है।

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Conclusion-

नामकरण संस्कार एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पारिवारिक प्रक्रिया है, जो शास्त्रों और पंचांग के अनुसार सही समय और विधि से किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में ध्यान रखना होता है कि नक्षत्र, राशि और शुभ मुहूर्त के अनुसार नाम रखा जाए, ताकि बच्चा जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त करे। इसके लिए पंचांग, नक्षत्र, और समय का सही चयन करना आवश्यक है।

FAQs – Frequently Asked Questions 

Q1- अगर नक्षत्र अक्षर से नाम न रखा जा सके तो क्या करें?

Ans- अगर किसी कारणवश नक्षत्र के अक्षर से नाम नहीं रखा जा सकता, तो दो नाम रखें: एक गुप्त नाम (राशि और नक्षत्र के अनुसार रखा गया)

एक व्यवहारिक नाम (जिसे रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल किया जाए) इससे नामकरण की शास्त्रीय परंपरा भी निभ जाती है और व्यवहार में भी सुविधा रहती है।

Q2 – क्या करें अगर सही नाम नहीं रखा गया हो?

Ans-  अगर आपने नामकरण सही समय पर नहीं किया है या सही नाम नहीं रखा है, तो चिंता की बात नहीं है। नाम में परिवर्तन संभव है, और शास्त्रों के अनुसार कुछ उपाय भी हैं जिनसे जीवन को सही दिशा में लाया जा सकता है।

Q3- what is namkaran called in english

Ans- Naming Ceremony

Q4- क्या बिना कुंडली के नक्षत्र चरण निकाला जा सकता है?

Ans-  हाँ, अगर आपके पास जन्म का सही समय है और नक्षत्र चार्ट है तो आसानी से निकाल सकते हैं।

Q5- अगर समय थोड़ा आगे-पीछे हो जाए तो?

Ans- अगर जन्म का समय कुछ मिनट का फर्क है तो बेहतर है कि कुंडली बनवाकर कंफर्म कर लें, ताकि नामकरण सही हो।

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