नमस्कार दोस्तों, holika dahan जिसे छोटी होली भी कहा जाता है। यह हिंदू धर्म में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। पहले दिन holika dahan होता है and दूसरे दिन holi जो की रंगों का त्यौहार होता है।
होलिका दहन का pooja muhurat डेट क्या रहेगा। also इसका सही समय आपको बताएंगे then किन-किन बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए सबसे पहले हम जान लेते हैं। तो चलिए शुरू करते है और जानते है की पूर्णिमा तिथि कब शुरू होगी और कब समाप्त होगी।
Holika Dahan Date And Time
हिंदू पंचांग के अनुसार holika dahan की date and time प्रत्येक वर्ष बदलते हैं। लेकिन होली को फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को ही मानते हैं। 2024 में holika dahan की tarikh 24 march है। होलिका को जलाने(दहन) करने का रिवाज़ सूर्यास्त के बाद आमतौर पर शुरू होता है।
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Holika Dahan Ka Shubh Muhurat
24 मार्च को holika dahan ka shubh muhurat रात 11:13 बजे से रात 12:27 बजे तक रहेगा। and पूर्णिमा तिथि 24 और 25 दोनों दिन रहने वाली है। 1 घंटा 30 मिनट की कुल अवधि रहेगी। ध्यान रखे की होलिका दहन का मुहूर्त भद्रा के समय कभी नहीं किया जाता है, जैसा कि हिंदू पंचांग में विवरणित किया गया है। लोग इसे प्रदोष काल के दौरान मनाने का प्राथमिकता देते हैं। इसे भद्रा रहित पूर्णिमा की रात को भी मनाया जाता है।
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Holika Dahan पर भद्रा का समय
भद्रा को को सही समय नहीं बतया गया है and छोड़कर ही holika dahan करनी चाहिए यही शुभ होता है। also 2024 में इस बार 24 मार्च को भद्रा सुबह 9:54 से रात को 11:1 तक रहेगा।
यानी कि इस बार जो होली का दहन है। वह रात्रि के समय में 11:1 के बाद करना पड़ेगा। generally हम लोग पहले 7,8,9 बजे -पास होली का दहन कर देते थे। but इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि भद्रा लग रही है।
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Holika Dahan Puja Vidhi
कुछ दिन पहले से ही Holika Dahan की तैयारी होने लगती है। होलिका दहन करने के लिए किसी एक स्थान पर पेड़ की टहनियों, गोबर के उपले सुखी,लड़कियों, घास फस आदि इकट्ठा की जाती है। then होलिका दहन के दिन एक दिन पहले वहां सुखी लड़कियों उपले आदि रख दिए जाते हैं।
ऐसे ही करते-करते यहां पर सुखी लड़कियों उपले आदि का ढेर लग जाता है। चलिए अब आपको बताते हैं Holika Dahan Puja Vidhi कैसे करें ?
होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा की जाती है इस दिन होलिका के पास पूर्वीय उत्तर दिशा में मूक करके बैठे जाना चाहिए। फिर गणेश और गौरी की पूजा करनी चाहिए।
इसके बाद ॐ होली के नमः होलिका के लिए ॐ प्रह्लादाय नमः भक्त प्रहलाद के लिए और ॐ नरसिंहाए नमः भगवान नरसिंह के लिए मन्त्र जाप किया जाता है।
होलिका दहन के समय अग्नि में गेहूं की बालियों,हरे चने का बुट्टा आदि को सेका जाता है। फिर इसको अपने घर ले जाये और इसे आप खा भी सकते है। कहा जाता है की इससे व्यक्ति निरोग रहता है इसके बाद बड़गुल्ले की चार माला ली जाती है और इन्हें पितृ ,हनुमान जी शीतला माता और परिवार के लिए चढ़ाई जाती है फिर होलिका की तीन या सात बार परिकरमा करे।
परिक्रमा करते-करते कच्चे सूत को होलीका के चारों ओर लपेटा जाता है। फिर लोटे का जल और अन्य पूजा सामग्री होलिका को अर्पित करनी चाहिए। जैसे धूप गंध पुष्प आदि से होलिका की पूजा करें फिर अपनी मनोकामनाएं कहे और गलतियों की क्षमा मांगे तो होलिका दहन पर आप इस तरीके से पूजा कर सकते हैं .
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Holika Dahan Story In Hindi
कथा है एक असुर कुल में जन्मे ऐसे बालक की भक्ति की जिसकी भक्ति ने भगवान के दिल को छू लिया था। इसकी दूसरी साइड दत्य राजा हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा की आराधना की। जिसके तप अनुसार भगवान ब्रह्मा प्रकट हुए। and कहा की में तुम्हारी इस कठोर तपस्या से मैं बहुत प्रसन्न हूँ।
हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी चौंक गए और कहा कि इसकी भी सीमाएं हैं। लेकिन वह जो भी मांगेगा उसे अवश्य देंगे।
then हिरण्यकश्यप को वरदान मिला की तुम्हे कोई भी नर-नारी, भगवान, पृथ्वी का कोई भी प्राणी, घर के अंदर न बहार नहीं मर पाएगा। असुर राजा की खुसी का कोई ठिकाना न रहा। इसके चकर में वह यह भी भूल गया की उसे दरवाजे की चौखट में मृत्य मिलेगी।
and राक्षस की परवर्ती अनुसार पृथ्वी पर अत्याचार शुरू किया। then सभी को अपनी पूजा करने पर विवश किया but खुद का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करता था। यह देखकर हिरण्यकश्यप को बहुत गुस्सा आया।
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Holika Dahan Kyu Manate Hai
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ एक षड़यंत्र रचा, जिसमें होलिका अपनी वरदानी चादर में प्रह्लाद को आग में बैठाने का प्रयास किया। परंतु, भगवान की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई।
इसके बाद हिरण्यकश्यप ने उसे स्वयं मारने का निर्णय लिया। and प्रह्लाद को अपने समक्ष बुलाया और पूछा, “तेरा भगवान कहां है?” प्रह्लाद ने उत्तर दिया, “भगवान सभी जगह हैं। आप भी कोशिश करें।” भगवान हरी का नाम जपे। also हिरण्यकश्यप ने खंबे पर मुक्का मारा और पूछा, “क्या तेरा भगवान यहाँ भी है?”
प्रह्लाद ने कहा, “मैं बाद में बताऊगा, पहले आप मेरे भगवान से मिलें।” उसने खंबा तोड़ दिया और भगवान विष्णु वहा अपने नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। फिर भगवन नर्शिमा ने अपने पंजो से हिरण्यकश्यप को मारा और अपने प्रिय भगत प्रह्लाद का जीवन बचाया।
यही कारण है कि बुराइयों पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के होली मनाई जाती है। होलिका दहन के दिन एक पवित्र अग्नि जलाई जाती है जिसमें सभी तरह की बुराइयां आतंकवाद और नकारात्मकता को चढ़ाया जाता है
Scientific Reason Behind Holika Dahan
holika dhan ke piche Scientific Reason भी छिपा हुआ है। like शीत रितु समाप्त होने पर ग्रीष्म रितु का आगमन होता है also सीजन बदलने के कारण then शरीर पर अनेक प्रकार के संक्रमाण रोगों का आक्रमण होता है जैसे कि हैजा, खसरा, चेचक, आदी एवं संक्रमक रोगों को वायू मंडल में ही भस्म कर देने के लिए Holika Dahan किया जाता है।
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पूरे देश में रात्रि काल में एक ही दिन होली जलाने से वायू मंडलीय कीटाणू जल कर भस्म हो जाते हैं। इसके अतरिक जलती होलिका की प्रदक्षिना करने से हमारे शरीर में कम से कम 40 फारनहाइट गर्मी प्रवेश होती है।
इसके बाद यदि रोग उत्पन करने वाले जीवाणु हम पर आकरमण करते हैं, तो उनका प्रभाव हम पर नहीं होता। also वो हमारे अंदर आच(आग) की उश्णता से स्वयम नश्ट हो जाते हैं।
Holika Dahan ki rakh ke upay
जिनके मंगल उग्र हैं उनको चोटें ज्यादा लगती रहती हैं लोगों से झगड़े होते रहते हैं शनि उग्र जिनके हो जाते हैं उनके काम धंधे बंद हो जाते हैं जिनके गुरु उग्र हो जाते हैं वो अपने सोच ना पाने की वजह से ही जीवन में ब्लॉकेज का शिकार हो जाते हैं। इन सभी समस्या के लिए Holika Dahan ki rakh ke upay अच्छा होगा। आप holi ki rakh को इकट्ठा करिए। then उसको अगले दिन शिवलिंग पे थोड़ा सा मल के फिर शिवलिंग को स्नान करवा के आइए और उससे अगले दिन से थोड़ी सी राख जो होली की है अपने नहाने वाले पानी में डाल के बस एक ही दिन के लिए उससे नहा लीजिए जो भी आपका उग्र ग्रह होगा ना बड़े ही आराम से शांत होगा।
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Conclusion
हिन्दू संस्कृति में holika dahan का महत्व अत्यंत उत्तम है or अभिन्न अंग है। इस दिन holika की पूजा के साथ ही, हिन्दू धर्म में मान्यता है कि होलिका दहन से हर बुराई और पाप का नाश होता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त विशेष ध्यान रखकर ही चुना जाता है, जो भद्रा समय के बाद आता है। इसके साथ ही, इस दिन विज्ञानिक दृष्टिकोण से भी होलिका दहन की विविधता पर चर्चा होती है,
जिससे हमें इसके महत्व का समझना और मानना सहज होता है। इस समारोह में राख के उपाय यह बताये गए है। जो एक साथ हमारी रक्षा और सुख शांति के लिए उपयोगी होते हैं।
इस पावन दिन के महत्व को समझते हुए हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि भलाई की जीत हमेशा बुराई पर होती है।
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FAQs- Frequently Asked Questions
When is Holika Dahan celebrated
होलिका दहन आमतौर पर फाल्गुन के हिंदू चंद्र महीने की पूर्णिमा की रात (पूर्णिमा) को मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है।
How is Holika Dahan performed?
लोग अलाव जलाने के लिए लकड़ी और अन्य ज्वलनशील पदार्थ इकट्ठा करते हैं। and चिता के ऊपर होलिका की मूर्ति और सूखा नारियल भी रखा जाता hai then पूजा अनुष्ठान करने के बाद अग्नि जलाई जाती है और प्रार्थना की जाती है।
Are there any precautions to take during Holika Dahan?
दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आग से सुरक्षित दूरी बनाए रखने और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है। and इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित करें कि उत्सव के दौरान जानवरों को नुकसान न पहुंचे।
नई दुल्हन holika dahan में शामिल क्यों नहीं होती। या नई दुल्हन अपनी पहली holi ससुराल में क्यों नहीं मानती।
नई दुल्हन को पहली होली ससुराल में नहीं मनाई जाती। इसे बहुत बड़ा अपसगुन माना जाता हैं। कहते है। जो पहली होली ससुराल में मनेगी तो उनके घरों में पितृ दोष होता है। also एक कहावत है कि घर में पुत्र का जन्म हो पुत्री हो बहुत अच्छी बात है लेकिन हमारे घर में वनसज भी हो।
तो पहली होली बहु की सुसराल में नहीं होनी चाहिए। but पहली दीपावली ससुराल में होनी चाहिए, इन दोनों त्योहारों का तालुक इड़ा और पिंगला से है, जो होली है वो धूल का त्योहार है, and जो दीपावली है वो प्रकास का त्योहार है, प्रकास का त्योहार है।
जीवन में प्रकास प्रथम होना चाहिए। also जब आपके दिन बड़े होंगे, तो आपके जीवन में खुशियां होंगी। जब आपकी रात्री बड़ी होंगी, तो आपके जीवन में दुख होंगी। दुख होंगे