Tulsi Puja हमारी प्राचीन संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, and जो हमारे घर और जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भगवान कृष्णा की प्रिय है। also तुलसी की सेवा करने से हमें कृष्णा भक्ति प्राप्त होती है।
तुलसी के प्रत्येक भाग – जड़, तन, टहनियां, पत्ते, फूल और यहां तक कि उनके आसपास की मिट्टी भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। and तुलसी की परिक्रमा करने से हमारे सभी पाप, यहां तक कि ब्रह्महत्या तक नष्ट हो जाते हैं।
आज हम इस लेक में तुलसी पूजा से जुड़े सारे प्रश्नो का उत्तर देंगे जैसे की तुलसी पूजा कब करे। रविवार को तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए या नहीं। कितनी परिकर्मा करे। also पानी कब देना चाहिए। और भी अधिक सब के बारे आपको यहां सम्पूर्ण जानकारी मिलेंगी।
इस लेख को पूरा जरूर पढ़े। और आगे friend circle में भी भेजे। तो चलिए इस ब्लॉग को शुरू करते है।
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Tulsi Puja ka mahatav
हमारे प्राचीन काल से ही घर के आंगन में Tulsi Puja की परंपरा रही है फिर चाहे वह किसी राजा का घर हो or किसी गरीब का घर हो सभी घरों में तुलसी का होना धार्मिक रूप से बहुत ही अनिवार्य माना गया है। also तुलसी की पूजा से बहुत ही अधिक लाभ की प्राप्ति होती है पुण्य फल की प्राप्ति होती है
Also तुलसी पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है जिस घर में तुलसी की पूजा नियमित होती है उस घर में मां लक्ष्मी का स्थाई वास होता है श्री हरि विष्णु का स्थाई वास होता है then वैज्ञानिक रूप से भी तुलसी पूजा का बहुत विशिष्ट महत्व है बहुत सारी औषधियों में तुलसी जो है वह काम आती है।
तुलसी के पत्ते और तुलसी के रस से बहुत सारी बीमारियों का इलाज होता है and साथ ही जिस घर में तुलसी का वास होता है then उस घर में कभी भी नेगेटिव एनर्जी नकारात्मक उर्जा प्रवेश नहीं करती है तो अपने घर में तुलसी का पौधा जरूर रखें
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Tulsi Puja kaise karen
देखिये Tulsi Puja करने का सही समय सुबहे आरती के बाद या संध्या आरती से पहले। आप अपनी सुविधा के अनुसार सुबह या शाम को तुलसी की आरती कर सकते हैं। and कोशिश करें कि आप अपने घर में दो तुलसी के पौधे रखें – एक भगवान के मंदिर में and दूसरा बाहर गार्डन या खिड़की के पास जहां धूप और ताजी हवा आती हो।
तुलसी पूजा करने के लिए सबसे पहले प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए। then स्नान और अन्य कर्म करने के बाद, आप तुलसी के पूजा की सामग्री लेकर जाएं। and इसमें शुद्ध जल, हल्दी, रोली, घी, शुद्ध दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, पुष्प और नैवेद्य शामिल हैं।
तुलसी पूजा करने के लिए सबसे पहले आप तुलसी माता की पवित्र मूर्ति या तुलसी के पौधे को स्थापित करें। इसके बाद आप तुलसी माता को जल, फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें। then इसके साथ ही आप तुलसी माता के गुणों or महत्व पर ध्यान लगाएं और उनकी स्तुति करें। also आप तुलसी माता की पूजा के लिए वीरवार, एकादशी और शुक्रवार के दिन विशेष रूप से उपयुक्त हैं।
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Tulsi Puja ki vidhi kya hai
- सुबहे या संध्या को जब भी आप पूजा करे तो तीन बार तुलसी को जल अर्पित करे। and साथ में इस मंत्र का उच्चारण करे -“महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्य वृद्धि आदि हरा नित्य तुलसी ओम नमो स्तुते”
- इसके बाद आप तुलसी माता को जल, फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें।
- दाहिने हाथ में अगरबत्ती और बाएं हाथ में घंटी पकड़कर, तुलसी महारानी के चारों ओर तीन परिक्रमा करें।
- दीपक जलाकर तुलसी महारानी को अर्पित करें।
- फूल चढ़ाकर तुलसी महारानी को प्रणाम करें।
- अंत में उन्हें प्रणाम करके पूजा समाप्त करें।
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Tulsi Puja Se Kya Labh hai
हमें तुलसी पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। यह हमारे घर में मां लक्ष्मी की कृपा लाती है। and हमारे परिवार को सुख-समृद्धि प्रदान करती है। also इसके अलावा, यह हमारे जीवन में शांति, सौभाग्य और धार्मिक उन्नति लाती है।
वैज्ञानिक रूप से भी तुलसी के औषधीय गुण हमारी सेहत को लाभ पहुंचाते हैं। also पाप कर्मो से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही सुख समृद्धि धन वैभव की प्राप्ति होती है।
and अखंड सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। also वैवाहिक जीवन सुखमय रहत्ता है। घर में वंशवृद्धि कि अगर परेशानी है या वंश वृद्धि नहीं हो रही है तो मां तुलसी की नियमित पूजा और प्रार्थना करें।
तो शीघ्र ही संतान की प्राप्ति होती है मां तुलसी की पूजा के अनेकों लाभ है therefore तुलसी अवश्य रखें और तुलसी की पूजा विधिवत रूप से करें।
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तुलसी में जल चढ़ाने की विधि
तो सबसे पहले Tulsi Puja करते समय आप तुलसी की जड़ में जल अर्पित करें। साथ में यह मंत्र बोलते रहे – “महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्य वृद्धि आदि हरा नित्य तुलसी ओम नमो स्तुते” तुलसी की जड़ में आपको तीन बार जल अर्पित करना है। अगर आपके पास इतनी जगह नहीं है कि आप तुलसी के चारों तरफ घूम पाएं परिक्रमा कर पाए तो आप तुलसी में जल चढ़ाने के बाद मां तुलसी की तीन बार परिक्रमा करले।
यदि तुलसी पौधे के पास ज्यादा जगह है तो वहां पर एक बार जल अर्पित करे then एक परिकर्मा करे। ऐसा आपने तीन बार करना है। उसके बाद बचा हुए जल को तुलसी के पूरे पत्तों पर जल देना है। लेकिन तीन बार जो सर्वप्रथम आप जल देंगे वह तुलसी की जड़ में देंगे इस तरह से आपको तुलसी में जल अर्पित करना है।
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Tulsi ki parikrama Kitni Karen
तुलसी पूजा के दौरान तुलसी महारानी की एक बार, तीन बार या सात बार परिक्रमा कर सकते हैं। परिक्रमा करते समय दाहिने हाथ में अगरबत्ती और बाएं हाथ में घंटी पकड़ें।
Tulsi Mein Deepak kab aur kaise jalaye (तुलसी में दीपक जलाने की विधि)
दोस्तों तुलसी में दीपक जलाते वक्त आपको शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। अगर संभव नहीं हो तो आप तिल के तेल का दीपक भी जला सकते हैं। तो जब भी आप तुलसी का दीपक प्रज्वलित करते हैं।
तो आपको वहां पर दीपक के नीचे आसन बिछाना जरुरी होता है। आसन यानि आप चावल का आसन but साबुत चावल होने बहुत जरुरी है। आसन में। टूटे हुए दाने नहीं होने चाहिए। चावल के दाने नीचे रखकर दीपक को प्रज्जवलित करें।
दीपक जलाते समय आपको एक बात विशेष रूप से ध्यान रखना है। अगर आप डेली मिट्टी का दीपक प्रज्वलित कर रहे हैं तो हर रोज आपको दीपक बदलना चाहिए।
क्योकि मिट्टी का दीपक कभी भी दूसरी बार प्रयोग नहीं किया जाता है तो इससे अच्छा है कि आप एक पीतल का या स्टील जो भी संभव हो आप दीपक रखें। जिससे कि आप रोज साफ कर लें अच्छे से धो लें तभी उसमें दीपक प्रज्वलित करें।
Tulsi ko kya Bhog Lagana chahie
वैसे तो आप tulsi puja में मिश्री का भोग लगा सकते हैं। किसमिस का भोग लगा सकते हैं। किसी भी मीठी वस्तु का भोग आप लगा सकते हैं। but किसी भी नमकीन चीज का भोग नहीं होना चाहिए। कीसी फल का भी आप भोग लगा सकते हैं।
इसमें कोई संशय नहीं है कि किस चीज का भोग लगाएं जो भी आपके पास सामर्थ है। आप उस वस्तु का भोग लगाएं। लेकिन अगर आप मिश्री पतासे या किसी मीठी चीज का भोग लगा रहे हैं। तो किसी पात्र में डाल कर तुलसी की जड़ में रखें।
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तुलसी पत्ते कब तोड़ें और कब नहीं
दोस्तों तुलसी का पत्ता एकादशी के दिन, द्वादशी के दिन, पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति, रविवार के दिन, मध्यान काल में या संध्या काल में रात्रि के समय या ग्रहण काल में यह जो समय होते हैं इस समय में आपको तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।
एक और बात तुलसी का पत्ता इस समय में नहीं तोड़ना चाहिए यह बिल्कुल सत्य हैं लेकिन अगर भगवान शालिग्राम को भोग लगाना हो तो इन विशिष्ट अतिथियों में भी हम तुलसी का पत्ता तोड़ सकते हैं।
माता तुलसी से यह प्रार्थना करते हुए कि हम शालिग्राम को भोग लगाने के लिए यह पत्ता ले रहे हैं। तो हम इन विशिष्ट अतिथियों में भी तुलसी का पत्ता तोड़ सकते हैं। लेकिन ज्यादा अच्छा रहेगा कि आप पहले ही दिन तोड़ लें।
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Conclusio-
तुलसी पूजा हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि भी देती है।
and तुलसी पूजा विधि में स्नान, शुद्धिकरण, जल अर्पित करना, परिक्रमा करना, दीपक जलाना, और भोग लगाना शामिल है। जल चढ़ाने का सही समय सुबह है और दीपक संध्या के समय जलाना शुभ माना जाता है।
तुलसी के पत्ते ब्रह्म मुहूर्त में तोड़ें और संध्या में नहीं। इन विधियों का पालन कर तुलसी पूजा से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और पारिवारिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। तुलसी पूजा हमारी परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
FAQs- Frequently Asked Questions
Why tulsi not used in ganesh puja
तुलसी का प्रयोग गणेश पूजा में नहीं किया जाता है क्योंकि इसके पीछे एक श्राप है। तुलसी की कहानी के अनुसार, तुलसी ने भगवान गणेश को श्राप दिया था कि वह कभी अपनी इच्छा से शादी नहीं करेगा।
इसके बाद गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दिया तुम्हारी शादी एक राक्षस सी होगी। यह सुनते ही तुलसी ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी।
श्री गणेश ने कहा की यह तो सृष्टि के कल्याण के लिए होना ही था। also कहा की इसके बाद तुम्हारी सादी श्री हरी से होगी।
और तुम जन्मांतर तक सर्वश्रेस्ट तुलसी नाम ले पौधे से जानी जाओगी। but मेरी पूजा में तुलसी कभी स्वीकार नहीं कि जाएगी।
Ravivar ko Tulsi Puja Karen ya nahin Karen
रविवार के दिन तुलसी में जल नहीं दिया जाता है यह हम सभी जानते हैं तो क्या हम तुलसी की पूजा भी नहीं करेंगे तो यह गलत होगा।
Ravivar ko Tulsi Puja kaise karen
Ravivar ko Tulsi Puja तो करे but भूल कर भी तुलसी को स्पर्श न करे। इसलिए रविवार के दिन हम तुलसी में जल नहीं डालते हैं। जल नहीं डाल सकते ये तो ठीक है। लेकिन तुलसी में हम दीपक अवश्य प्रज्ज्वलित करेंगे।
अगर आप सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं like ब्रह्म मुहूर्त में तो आप सुबह ही तुलसी में दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सूर्योदय के बाद तुलसी में दीपक प्रज्वलित नहीं करना चाहिए। but आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें हैं आप बहुत आराम से मां तुलसी की पूजा कर सकते हैं।
Tulsi me Jal kab Dena chahie
सुबहे बर्ह्म मुहूर्त में स्नान आदि शुद्ध होकर तुलसी को जल देना चाहिए।