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Pashupati Vrat Anushthan Ki Vidhi, Samagri, Katha Aur Uske Fayde

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नमस्कार दोस्तों pashupati vrat भगवान शिवा को समर्पित है यह व्रत सोमवार और प्रदोष व्रत की तरह ही किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखना से व्यक्ति की मनोकामना जल्द ही पुरी होती है। also सुखी जीवन हर तरह के संकटों का नस होता है।

यह व्रत सोमवार के दिन कभी भी शुरू किया जा सकता है। पशुपति नाथ जी का मंदिर बागमती नदी के किनारे काठमांडू नेपाल में स्थित है भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त हर तरह की कोशिश करते हैं सोमवार का व्रत   रखते हैं प्रदोष का व्रत रखते हैं साथ ही शिवरात्रि  का व्रत भी रखते हैं।

लेकिन बहुत कम लोग हैं जो यह जानते हैं कि इन व्रतों के अलावा pashupati vrat करने से भगवान शिव बहुत ही जल्द प्रसन्न होते हैं। हर एक विधि के अनुसार पशुपति व्रत के साथ और भी जरुरी बाते इस ब्लॉग में आपको बतायेँगे।

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Importance Of Pashupati Vrat

भगवान शिव को समर्पित Pashupati Vrat का महत्व बहुत अधिक है। also उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक मार्ग है। अगर भक्त इस व्रत का नियमित रूप से आचरण करते हैं तो उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।

पशुपति व्रत को किसी भी सोमवार के दिन शुरू किया जा सकता है। इस व्रत का पालन करने से साधक अपने जीवन में संतुलन, शांति, और सफलता की प्राप्ति में समर्थ बनता है। यह व्रत भगवान शिव की पूजा, ध्यान और मंत्र जप के माध्यम से किया जाता है।

इसके अलावा, यह व्रत भक्त को जीवन में नैतिकता, सहनशीलता, और समर्पण की भावना प्रदान करता है। इसलिए, पशुपति व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है और इसका पालन किया जाता है।

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Pashupati Vrat Ki Samagri   

  • 6 आटे के दीपक , गोल बाती घर से दिया लेना, दूसरे के दिए में नहीं जलाऐ।
  • चंदन, केसर युक्त चंदन, और अष्टगंध चंदन इनमे से कोई भी ले सकते है।
  • गुलाल, जनेऊ ,नारियल,मौली, और फूल।
  •  पांच, सात 9,11, 21 की संख्या में बेलपत्र ले सकते है। जैसी आपकी इच्छा।
  • पंचामृत,अक्षत, और भांग।
  • बिना टुटा हुआ साबुत चावल।
  • जल, चीनी, और मिश्री।
  • माचिस की आवश्यकता, अग्नि के लिए।
  • सारी सामग्री एक थाली में ही लेनी है।

Pashupati Vrat ki vidhi (पशुपति व्रत की विधि प्रदीप मिश्रा)

सोमवार के दिन Pashupati Vrat करने की विधि यहॉ निचे बताई गई है।

  • सोमवार के दिन सुबह स्नान करें।
  • साफ कपड़े पहनें और पूजा की थाली तैयार करें।
  • मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग या मूर्ति की पूजा करें।
  • जलाभिषेक करें और अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा का सामान थाली में रखें जो की ऊपर बता भी रखा है।
  • सफेद फूल, रोली, चावल, फूल, बेलपत्र चढ़ाये।
  • पूजा पूरी होने के बाद इच्छा अनुसार 11 रुपए की दक्षिणा और प्रसाद चढ़ाएं।
  • आरती करें और मनोकामनाएं मांगें।
  • सुबह और शाम की पूजा ना भूलें।

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पशुपति व्रत की शाम की पूजा

Pashupati Vrat की शाम की पूजा के समय आपको सुबह तैयार की थी उसी थाली को लेकर पूजा करनी है। then जो भी प्रसाद आप घर में बना रहे हैं। उसके तीन हिस्से कर लेने हैं।  also थाली में छह: दिए भी होने चाहिए।

बेल पत्र  के साथ इसे आप भगवान शिवजी के सामने समर्पित करेंगे। and पूजा के बाद जो प्रसाद के हमने तीन हिस्से किए थे , उसमें दो हिस्से मंदिर के अंदर रखे then एक हिस्सा घर में वापस लाये।

also हमने जो 6 दिए लिए थे उनमे से 5 दीए मंदिर में जला दे। and बचा हुआ एक दिया आपको अपने घर के मुख्य द्वार के सीधे हाथ की तरफ जला देना है। and जलाने के बाद भगवान पशुपतिनाथ से अपनी मनोकामना कहे और फिर घर में प्रवेश करें।

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Pashupati Vrat के नियम और सावधानियाँ 

  • सुबह और शाम दोनों सयम मंदिर में ही पूजा करे।
  • घर से ही सारी सामग्री ले नाकि मंदिर जाते समय रास्ते में ख़रीदे।
  • नारियल पर कलावा बांधने का ध्यान रखें, यह भूल नहीं होनी चाहिए।
  • पांच व्रत एक ही मंदिर में पुरे करे।
  • पूजा का समय सुबह और शाम दोनों होता है
  • बड़ी थाली का चयन करें ताकि दोनों समय की पूजन सामग्री एक ही थाली में राखी जाये।
  • सेंधा नमक यूज़ कर सकते है।
  • पीतल या तांबे के बर्तन में हमें पंचामृत नहीं लेकर जाना है।
  • लहसुन-प्याज ,नशीली वस्तुओं and मांस-मदिरा का सेवन बिलकुल ना करें।
  • ब्रह्मचार्य का भी ध्यान रखे।
  • पांचवे व्रत के दिन ही उद्यापन करना चाहिए। नाकि छठे दिन
  • प्रशाद के तीन हिसो में आपको दो हिस्सों को मंदिर में ही चढ़ा दे। but तीसरा हिस्सा आपको ही खाना है।

Pashupati Vrat Udyapan Vidhi

  • पशुपति व्रत का उद्यापन पांचवें व्रत के दिन किया जाता है।
  • इस दिन आपको सुबह जल्दी उठकर शुद्ध वस्त्र पहनकर तैयार होना होता है।
  • आपके पांचवें व्रत के दिन आपको अपने व्रत को पूरा करना होता है।
  • आध्यापन के दिन आपके साथ एक नारियल लेकर जाना है।
  • उस दिन मंदिर में जाते समय आपको एक नारियल और 108 बेलपत्र लेकर जाना है।
  • आपको उसी तरह पूजा करनी है जैसे आपने पहले चार सोमवार व्रत में की थी।
  • जब आप पूजा करेंगे, तो आपको उस नारियल पर मौली लपेटकर अपनी कामनाएं कहनी होंगी।
  • उस नारियल को भगवान के सामने स्पष्ट करना होगा, साथ ही आंख बेलपत्र को भगवान के सामने अर्पित करें।
  • पांचवें व्रत के दिन जब आप मंदिर जाएंगे, तो आपको ब्राह्मण को दान में आटा, चावल, और रूपये आदि का दान दे सकते है।
  • इसके बाद, आप अपनी गलतियों की माफी then मनोकामनाएं भगवान जी से मांगें और उनके सामने रखें, उन्हें आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद देंगे।

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पशुपतिनाथ व्रत  की कथा  

Pashupati Vrat को एक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव चिंकारे का रूप धारण  करके निद्रा में बैठे थे also तब सभी देवताओं ने उन्हें खोजा। then वाराणसी फंसाने का प्रयास किया ऐसे में  भगवान शिव ने नदी के दूसरी ओर छलांग लगा दी

ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान उनका सिंघ चार टुकड़ों में  टूट गया था इसके बाद भगवान Pashupati चतुर्मुख लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे और तभी से इस चतुर्मुखी रूप में भगवान शिवजी की पूजा अराधना की जाती है।

pashupati vrat ki दूसरी कथा एक चरवाहे से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि एक शिवलिंग को एक चरवाहे द्वारा खोजा गया था। then इसकी गाय अपने दूध से अभिषेक कर शिवलिंग के स्थान का पता लगाया था।

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Pashupati Vrat Katha

तीसरी pashupati vrat katha भारत के उत्तराखंड राज्य से जुड़ी हुई, एक पौराणिक कथा है। also यह कथा पशुपतिनाथ के मंदिर के निर्माण से जुड़ी है जिसके अनुसार आज से हजारों साल पहले महाभारत के युद्ध में जब पांडवों की जीत हुई थी।

but वे काफी दुखी थे। क्योंकि उन्होंने यह जीत स्वम के कुल के लोगों की हत्या करके पाई थी। therefore सभी पांडवों को गोत्र हत्या का पाप लगा था। then इस गोत्र हत्या के पाप के करण पांडव काफी दुखी रहा करते थे। then  महाभारत के युद्ध में धर्म की विजय के बाद भी अपने आप को अपराधी जैसा महसूस कर रहे थे। and उनके पास अब एक ही उपाय था।

जससे की वे इस पाप का प्रायश्चित करें। then भगवान शिव के पास जाकर इस गोत्र वध पाप का प्रायश्चित किया जा सकता था। then इसके बाद वे कैलाश की और चले or भगवान शिवा को कैलाश की चोटी में ढूंढने लगे। but भगवान शिवा भी नहीं चाहते थे। की पांडवों को उनके पापो का पश्चाताप इतनी आसानी से मिले। then भगवान शिवा को लगा के पांडव उन्हें जल्द ही ढूंढ लेंगे

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then शिवजी ने बैल का रूप धारण कर लिया and पांडवों से छिपकर भागने लगे but पांडव भी विद्वान थे then उन्होंने शिव जी को पहचान। then पांडवों ने भगवान शिवा को पकड़ने की बहुत कोशिश की। but भगवान शिव नहीं रुके। and वह or तेजी से भूमि में लुप्त हो गए। then जब भगवान शिवा दोबारा से अपने शिव रूप में अवतरित हुए। तो उनके बेल रूप के अलग-अलग हिससे हो गए

then वह हिससे अलग-अलग स्थान पर वितरित हो गए। then इसके  बाद भारतवर्ष में उनका मस्तक गिरा वहा पर पशुपति नाथ मंदिर की स्थापना की गई also इसी करण इस मंदिर को भगवान शिवा के सभी मंदिरों में सर्वश्रेष्ठ मंदिर की मान्यता दी जाति है।

also इसकी शक्तियों का गुणगान हमें वेदों और पुरााणो में देखने को मिलता है। then इस कथा के अनुसार मंदिर का संबध केदारनाथ मंदिर से भी हैं। कहा जाता है कि जब पांडवों को स्वर्ग प्राण के समय शिवजी ने बहन से के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गई

लेकिन पूर्ण तहत सामान्य से पूर्व भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली थी जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था also उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है and जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ कहा जाता है। पुराणों में पंचकेदार की कथा के नाम से इस कथा का विस्तार से उल्लेख मिलता है।

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Pashupati Vrat ke fayde

Pashupati Vrat का पालन करने से हमारी सभी कामनाएं पूरी होती हैं। चाहे हमें किसी भी संकट में हो, धन की कमी हो, व्यापार में घाटा हो, या फिर घर परिवार में कोई समस्या हो then उसे भी पशुपतिनाथ का यह व्रत करना चाहिए।

यह व्रत जल्दी ही हमें समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। and वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। विवाह में किसी भी प्रकार की बाधा या देरी हो,और हमें शीघ्र सफलता प्राप्त होती है। अगर किसी को संतान प्राप्ति में कोई बाधा हो या फिर किसी अन्य कामना की पूर्ति के लिए।

हमें भगवान शिव की आराधना करनी हो, तो Pashupati Vrat  का पालन करना बहुत ही लाभदायक साबित होता है। also यह व्रत करने से हमारी कामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। इसलिए यह व्रत करने के नियमों का पालन हमें समय पर आरंभ करना चाहिए।

Conclusion- 

Pashupati Vrat  एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। also इस व्रत की सामग्री, विधि, और नियमों का पालन करने से हम अपने मन, वचन, और कर्मों को पवित्र और धार्मिक बना सकते हैं।

पशुपति व्रत की शाम की पूजा मन, तन, और धन की समृद्धि के लिए शुभ मानी जाती है। then pashupati vrat katha सुनने से हमें आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है। also हमारी आत्मा को शांति का अनुभव होता है। इस व्रत के लाभ अनगिनत हैं, जो हमें शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ बनाते हैं।

also Pashupati Vrat की Udyapan Vidhi के अनुसार व्रत का समापन करना हमें आनंद और संतोष प्रदान करता है। इस प्रकार, पशुपति व्रत हमें धार्मिकता और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है।

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Faqs- Frequently Asked Questions

पशुपति व्रत में अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करें ?

देखिये इंसान से गलती हो सकती है। but उनको ठीक भी किया जा सकता है। गलती हो जाये तो आप अपने घर के बरामदे में खड़े होकर भोले नाथ से माफ़ी मांगे। और अपना व्रत सुरु करे। 

पशुपति व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं ?

Pashupati Vrat में आप एक बार नामक का सेवन कर सकते हैं। but नमक सिर्फ सेंधा होना चाहिए। 

पशुपति व्रत कब करना चाहिए ?

अपनी इच्छा अनुसार आप किसी भी सोमवार से इसे कर सकते है। also आप बहुत बड़ी विपदा या आपका कोई कार्य नहीं बन रहा तो भी आप Pashupati Vrat को कर सकते है। 

पशुपति व्रत में बाल धोना चाहिए या नहीं ?

शास्त्र प्रमाण के आधार पर किसी भी पूजा पाठ में पूर्ण रूप से स्वच्छता का होना आवश्यक है। then स्वच्छता में हमारे बाल भी आते हैं। and  बाल धोने में कोई दिक्कत नहीं है। सोमवार के दिन पूर्ण रूप से बाल धो लीजिए। और उन्हें सूखा के बंद लीजिये। इससे कोई दिकत नहीं होती।

मासिक धर्म में पशुपति व्रत कैसे करें ?

मासिक धर्म में Pashupati Vrat तो व्रत कर लीजिए। but पूजा मत करिए। also याद रहे की वह व्रत गिनती में नहीं आएगा। जिस व्रत को मंदिर जाकर पूजा करेंगे वही व्रत गिनती में आएगा। 

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कितने पशुपति व्रत आपको रखें चाहिए ?

पशुपति व्रत पांच की संख्या में रखे जाते है। then पांच पशुपति व्रत रखने से ही आपकी मनोकामना पूरी हो जाती है। but फिर भी आप अपनी श्रद्धा के अनुसार पांच के अलावा 7,9,11 की संख्या में व्रत रख सकते हैं। जितने भी व्रत आप रख रहे हैं। व्रत शुरू करने के पहले दिन उसका संकल्प लेना बहुत जरूरी होता है। 

पशुपति व्रत में रात में क्या खाना चाहिए?

आप फलाहार भी कर सकते है। then साथ में आप साबूदाने की खीर, सिंघाड़े के आटे का हलवा और कुट्टू के आटे का हलवा आप ले सकते हैं। दिन में आप फ्रूट ले सकते हैं। also चाय, दूध, लस्सी, पानी and दही आदि आप ले सकते हैं। पशुपति व्रत में आप दूध से बनी मिठाई भी ले सकते हैं।   

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