Shaligram और tulsi कार्तिक के महीने में दो इन चीजों की सबसे ज्यादा महिमा होती है। और आज इस लेख में हम शालिग्राम के बारे में चर्चा करंगे। इसको इतना पवित्र क्यों मानते हैं। also किस चीज से शालिग्राम का संबंध होता है।
भगवान विष्णु को सती वृंदा के श्राप के स्वरुप शालिग्राम का स्वरूप प्राप्त हुआ था and स्कंद पुराण के कार्तिक महात्म्य में भगवान शालिग्राम की स्तुति की गई है also कहा गया है कि शालिग्राम का दर्शन करने से समस्त तीर्थों का फल मिलता है।
हर साल कार्तिक महीने की द्वादशी को महिलाएं प्रतीक स्वरूप में तुलसी or भगवान शालिग्राम का विवाह करवाती हैं and उसके बाद ही हिंदू धर्म के जो अनुयाई हैं वह विवाह आदि शुभ कार्य प्रारंभ करते हैं।
तो आइये जानते है की घर में Shaligram को कहा और कैसे। साथ जानिए असली Shaligram की पहचान कैसे करे। और भी बहुत कुछ।
शालिग्राम की पूजा का महत्व और शालिग्राम के फायदे
श्रीमद् देवी भागवत के अनुसार, जो व्यक्ति कार्तिक महीने में भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करता है or वह 10,000 गायों के दान के बराबर फल प्राप्त करता है। and नियमित रूप से शालिग्राम का विधिपूर्वक पूजन करने से भाग्य और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
शालिग्राम के विधिपूर्वक पूजन से बीमारियाँ और ग्रह बाधाएँ दूर होती हैं। then जिस घर में शालिग्राम, तुलसी दल, शंख और शिवलिंग होते हैं, also वहां पर संपन्नता बनी रहती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ नैवेद्य नहीं खाना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि शिवजी पर चढ़े हुए नैवेद्य को खाने से व्यक्ति को कष्ट प्राप्त हो सकता है। then इस कष्ट के निवारण के लिए शिवलिंग के पास शालिग्राम का रहना आवश्यक है। and ऐसी स्थिति में आप शिवलिंग की वस्तुओं का प्रयोग कर सकते हैं और नैवेद्य का सेवन कर सकते हैं।
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shaligram kya hota hai
शालिग्राम एक पत्थर है एक शिला है और इसको भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है तो आखिर क्या हुआ था ऐसा कि भगवान विष्णु पत्थर के रूप में शीला के रूप में बदल गए थे। तो देखिये शंखचूड़ नाम का एक दैत्य था।
उसकी पत्नी बहुत सती थी। जिसका नाम वृंदा था also शंखचूड़ को वरदान था की उसकी पत्नी के सतीत्व धर्म को भंग किये बिना उसकी मिर्त्यु नहीं हो सकती थी। then भगवान विष्णु अपना रूप बदलकर के वृंदा का सतीत्व भंग कर किया। then तब जाकर भगवान शिव ने शंखचूर का वध किया।
जब वृंदा के साथ यह छल हुआ तो क्रोध में आकर वृंदा ने श्री हरि को पत्थर के रूप में बदल जाने का शाप दिया। also भगवान विष्णु तब से शिला रूप में रहते हैं। पत्थर के रूप में रहते हैं और उन्हें शालिग्राम कहा जाता है।
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Asli shaligram ki pahchan kaise karen
असली शालिग्राम की पहचान के लिए शालिग्राम को गीला करने पर वे ठंडे हो जाते हैं और चक्र स्पष्ट दिखाई देते हैं।
सोने की किसी भी वस्तु से शालिग्राम को रगड़ने पर सोना भगवान शालिग्राम में समाहित हो जाता है।
नकली शालिग्राम ज्यादा चमकीला होगा and असली शालिग्राम थोड़ा खुरदरा महसूस होगा।
also किसी भी प्रकार के शालिग्राम को आप अपनी ऊँगली या दो शालिग्राम को आपस में बजा कर देखे। then कंचे जैसी आवाज निकले तो वह 100 प्रतिसत नकली शालिग्राम है।
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where is shaligram found
शालिग्राम एक गोल काले रंग का पत्थर है जो नेपाल के गंडकी नदी के तल में पाया जाता है इसमें एक छेद होता है और पत्थर के अंदर शंख-चक्र-गदा और पद्म खुदे हुए होते हैं। also कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की धारियां चक्र के समान रहती हैं।
इस पत्थर को भगवान विष्णु का स्वरूप मानते हैं और उसकी पूजा भगवान शालिग्राम रूप में की जाती है शालिग्राम पत्थर जितना काला होगा or उस पर जितनी ज्यादा आकृतियां जाएंगे वह उतना ही ज्यादा श्रेष्ठ होगा।
शालिग्राम को वैज्ञानिक भाषा में अमूल नाइट जीवाश्म भी कहा जाता है and भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्त अपनी घर में शालिग्राम भगवान की पूजा भी अवश्य करते हैं।
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Types of Shaligram stone
शालिग्राम के प्रकार 24 होते हैं and उनके नाम इस प्रकार है।
- केशव
- मधुसूदन
- दामोदर
- संकर्षण
- वासुदेव
- प्रद्युम्न
- विष्णु
- माधव
- अनंतमूर्ति
- पुरुषोत्तम
- अधोक्क्षद
- जनार्दन
- गोविंद
- त्रिविक्रम
- श्रीधर
- ऋषिकेश
- नृसिंह
- विश्वयोनी
- वामन
- नारायण
- पुंडरीकाक्ष
- उपेंद्र
- हरि
- कृष्ण
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शालिग्राम को तुलसी में रखना चाहिए या नहीं?
हां, शालिग्राम को तुलसी के पौधे के पास रखना चाहिए। शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतीक है also तुलसी महारानी भी भगवान विष्णु की प्रिय भक्त हैं, इसलिए therefor दोनों को एक साथ रखना उचित है। शालिग्राम को तुलसी के चारों ओर तुलसी के पत्ते चढ़ाकर रखा जा सकता है।
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Shaligram Puja Vidhi
शालिग्राम की पूजा करने के लिए रोज़ उन्हें जल चढ़ाएं और पंचामृत से अभिषेक करें। also इसके बाद उन्हें चंदन लगाएं and पांच मौसमी फल अर्पित करें। दो तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करें।
अगर आपके घर में शालिग्राम हैं, then उनकी पूजा के साथ तुलसी की भी पूजा करें। and दोनों को भोजन अर्पित करने के बाद ही स्वयं भोजन करें और यह सुनिश्चित करें कि घर में पूजा का उचित नियम पालन हो।
इस पूजा में आप तुलसी माता और श्री हरि के गुणों और महत्व पर ध्यान लगाएं और उनकी स्तुति करें।
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Tulsi Mein Shaligram Rakhna chahie Ki Nahin
जी हां तुलसी के गमले में शालिग्राम रख सकते है। ऐसा करने से अनन्य कोटि फल की प्राप्ति होती है। यदि आप तुलसी and शालिग्राम की पूजा एक साथ करते हैं, तो यह अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है।
यदि आप शालिग्राम को गमले में नहीं रखती हैं, तो भी आप घर के मंदिर में शालिग्राम को स्थापित कर सकते हैं। also तुलसी की पूजा करते समय शालिग्राम को तुलसी के पास लाकर उनकी पूजा करें और फिर पूजा के बाद शालिग्राम को वापस अपने मंदिर में स्थापित कर दें।
तुलसी माता and शालिग्राम शिला को एक साथ रखकर पूजा करने से हमारे जीवन में शांति, समृद्धि and स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है।
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Shaligram ko kha rakhna chahiye
शालिग्राम को घर में कहां रखना चाहिए शालिग्राम रखने से होगा नकारात्मक शक्तियों का नाश शालिग्राम को तुलसी के निकट रखा जाता है। because तुलसी भगवान शालिग्राम को अत्यंत प्रिया है। then इसके साथ ही आप शालिग्राम भगवान को घर में किसी भी पवित्र स्थान और घर के मंदिर में रख सकते हैं।
शालिग्राम बहुत ही सात्विक माना जाता है। घर में शालिग्राम रखने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और व्यक्ति को सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
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Shaligram Kaise rakhen
शालिग्राम शिला को रखते समय ध्यान रखें कि वह स्वच्छ और पवित्र हो। and आप शालिग्राम शिला को तुलसी माता के पास रख सकते हैं या उसे अलग से एक पवित्र स्थान पर रख सकते हैं। and शालिग्राम शिला को रखते समय आप उसके महत्व और पवित्रता का ध्यान रखें।
तुलसी माता हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। तुलसी माला पहनकर हम अपने जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य लाते हैं। also तुलसी पूजा करके हम अपने जीवन को पवित्र and धार्मिक बना सकते हैं। इस प्रकार तुलसी पूजा हमारे लिए एक सुंदर संस्कार है।
तुलसी के गमले में या घर के मंदिर में शालिग्राम रख सकते हैं। thenशालिग्राम और तुलसी की एक साथ पूजा करने से अनन्य कोटि फल की प्राप्ति होती है। शिवलिंग को कभी भी तुलसी में नहीं रखना चाहिए।
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Shaligram rakhne ke niyam
यहां कुछ Shaligram से जुड़े जरुरी नियम बताये गए है। जिसे आपको ध्यान में रखना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार Shaligram जी को किसी संत आदि से लेकर ही अपने घर में रखना चाहिए यह बहुत ही शुभ माना जाता है। also शालिग्राम जी को ना ही किसी शादीशुदा व्यक्ति से लेना चाहिए और ना ही किसी शादीशुदा व्यक्ति को देना चाहिए।
यदि आपके घर में शालिग्राम जी हैं तो साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें अन्यथा आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है also शालिग्राम जी की पूजा करते समय ध्यान रखें कि उनकी ऊपर अक्षत चढ़ाना वर्जित माना गया है। जी हां यदि किसी स्थिति में अक्षत का प्रयोग कर रहे हैं तो हल्दी से रंगने के बाद ही करें।
शालिग्राम जी विष्णु जी का ही स्वरूप है इसीलिए इनकी पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग करना चाहिए घर में शालिग्राम जी रखे हैं and उनकी पूजा करते हैं तो नियमपूर्वक प्रतिदिन पूजन करना चाहिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शालिग्राम जी की पूजा का क्रम नहीं टूटना चाहिए।
घर में केवल एक ही शालिग्राम रखना चाहिए बहुत सारे शालिग्राम रखना उचित नहीं होता है।
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conclusion-
शालिग्राम भगवान की प्रतिमा असली और नकली की पहचान करना महत्वपूर्ण है। असली शालिग्राम पहाड़ी नदीजल से प्राप्त होते हैं और उनकी विशेषता में चक्र and partima की पहचान होती है।
उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि, and dhan की प्राप्ति होती है। शालिग्राम की पूजा में नियमितता और श्रद्धा से उनके प्रति भक्ति बढ़ती है। इसके अलावा, उनके प्रति समर्पण से आत्मा की शुद्धि होती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
FAQs- Frequently Asked Questions
शालिग्राम की क्या विशेस्ता है ?
इसकी विशेषता क्या होती है then जिस प्रकार भगवान शिव के विग्रह के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है उसी प्रकार भगवान विष्णु के विग्रह के रूप में शालिग्राम की पूजा की जाती है
क्या स्त्री शालिग्राम की पूजा कर सकती है ?
शालिग्राम की पूजा स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं को नहीं करनी चाहिए। also शालिग्राम की पूजा हमेशा पुरुष वर्ग को करनी चाहिए और स्पेशली जिसने यज्ञोंपवि धारण कर रखा हो वह पूजा कर सकता।
शालिग्राम की स्थापना किस दिन करें
आप लोग शालिग्राम को सोमवार, गुरुवार,शुक्रवार या फिर एकादशी के दिन घर में स्थापित कर सकते है।